शिवपुरी। शिवपुरी शहर में इन दिनों सट्टे का कारोबार चारों ओर फैला हुआ है। शहर का कोई भी ऐसा कौना नहीं बचा है। जहां से सट्टे का कारोबार संचालित नहीं किया जा रहा हो। शीघ्र ही धन कमाने के फेर में नागरिक सट्टे के रट्टे में फंस कर अपनी जमा पूंजी भी गवां रहे हैं। लेकिन पुलिस प्रशासन द्वारा कार्यवाही न किए जाने से सट्टे का कारोबार दिन दूना रात चौगुना फल फूल रहा है। परंतु शिवपुरी पुलिस इन दिनों महज चालनी कार्यवाही में व्यस्त है।
शिवपुरी शहर पिछले कुछ वर्षों पूर्व सट्टे के रट्टे में दिन दहाड़े यादव परिवार के दो लोगों की सरेआम गोलीमार कर हत्या कर दी गई थी। तत्समय पुलिस प्रशासन ने इस पर रोक लगाने का आश्वासन भी दिया था। इसके बाबजूद भी सट्टे के कारोबार पर रोक लगाना तो दूर अब तो पुलिस प्रशासन ही सटोरियों को खुला संरक्षण प्रदान किए हुए हैं। जिसके कारण सटोरियों को पुलिस प्रशासन कोई भी डर भय नहीं है और खुलेआम सट्टे की पर्चियां काटकर सैकड़ों परिवारों को बरर्बाद कर चुके हैं।
शहर के फिजीकल चौकी के नाक के नीचे खुले तौर पर सट्टे की पर्चियां काटी जा रही है जबकि इन सभी की जानकारी पुलिस प्रशासन देखते हुए अनदेखा कर रहे है। कोतवाली क्षेत्र में खुले रूप एक सटोरियां द्वारा पैसे का लेनदेन करके यहां एक नहीं दो जगह पर्चियां काटी जा रही है, वहीं बायपास रोड़, फतेहपुर, लालमाटी, कमलागंज, हम्माल मोहल्ले में खुलेआम एक के 80 के फेर में युवाओं को बरगला कर फंसाने में लगे हुए हैं। वहीं देहात थाना क्षेत्र में जवाहर कॉलोनी, नीलगर चौराहा, अम्बेडकर कॉलोनी , इमामबाड़ा क्षेत्र सहित अन्य कई जगहों पर सट्टे की खुलेआम पर्चियां काटी जा रही है।
इसकी जानकारी पुलिस प्रशासन को होने बाद भी नजर अंदाज किए हुऐ हैं। जबकि शहर के बीचोंबीच इस तरह का खेल चलने वाले खेल में महिला और बच्चे भी शीघ्र ही धन कमाने के लालच में फंस कर अपने धन को बर्बाद करने में जुटे हुए हैं। लेकिन इन सभी तथ्यों की जानकारी पुलिस प्रशासन को होने के बाबजूद भी सट्टे के अवैध कारोबार में सलंग्न लोगों के विरूद्ध कड़ी तथा दण्डात्मक कार्यवाही क्यों नहीं की जाती। इस के बारे में जब सटोरियों बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हम प्रत्येक पुलिस बाले को एक मुस्त मोटी रकम मुहैया करा रहे हैं। इससे हमें पुलिस का कोई भी भय नहीं है। जबकि पुलिस छोटे मोटे सटोरियों पर कार्यवाही अपनी खाना पूर्ति कर लेते हैं।
आखिर कब लगेगा सटोरियों पर अंकुश?
शहर के जाने माने सभ्रांत लोगों का कहना है कि आखिर गरीब लोगों को जाल में फांसने वाले इन सटोरियों पर पुलिस प्रशासन कब अंकुश लगाने में सफल होगा। या फिर सट्टे का कारोबार इसी प्रकार फलता फूलता रहेगा और गरीब परिवारों को कब तक तहस-नहस कर मिटाता रहेगा। पुलिस कर्मचारी कब तक अपनी महत्वकांक्षा के चलते केवल धन कमाने में ही जुटे रहेंगे या गरीब तबके के बरबाद होने वाले लोगों की भी कभी सुध लेंगे।
स्कूली बच्चों में भी लगी सट्टे की लत
हर गली मोहल्ले में चलने वाले सट्टे के कारोबार को ग्रीष्मकालीन छुट्टियों में परीक्षाओं से निवृत हुए छात्रों द्वारा भी एक के अस्सी करने के फेर में सट्टे की लत लग रही है। परिजनों द्वारा बच्चों को खाने पीने के लिए जेब खर्च दिया जाता है उसे ये अवयस्क बच्चे इन सटोरियों के जाल में फंस कर खाने पीने की जगह सट्टे में लगा रहे हैं।
सट्टे पर अंकुश नहीं लगा तो घट सकता है गंभीर हादसा
शहर में बेखौफ अंदाज में चल रहा सट्टे का कारोबार पर जिला प्रशासन तथा पुलिस प्रशासन गंभीर रूप से विचार कर कठोर दण्डात्मक कार्यवाही नहीं करता तो एक फिर से शहर में कभी भी कोई गंभीर हादसा घटित हो सकता है। इस हादसे का जिम्मेदार कौन होगा?
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