शिवपुरी विधानसभा को छोड़ जिले की 4 सीटो पर रही जातिवाद हावी, मुददे हुए थे गायब | Shivpuri News

शिवपुरी। जिले की शिवुपरी विधानसभा को छोड दिया जाए तो जिले की 4 विधानसभा सीटो पर पूरे चुनाव में जातिवाद का साया हमेशा मंडरा रहा है। शिवपुरी विधानसभा सीट पर जातिवाद नही रहा। यशोधरा राजे अपने विकास के बैनर को लेकर मैदान में थी और कांग्रेस के सिद्धार्थ लढा बदलाव को लेकर मैदान में थे। यशोधरा राजे को छोड जिले के किसी भी प्रत्याशी ने अपनी विधानसभा का मॉडल पेश नही किया कि वह जीतने के वाद उसके प्रमुख कार्य क्या होंगें। विकास के मुददे छोड जातिवार,समाजवाद और स्थानीयता का मुददा हावी रहा। अब जिले के सभी प्रत्याशियो की किस्मत वोंटिग मशीन में कैद है,और जिसका खुलासा आने वाली 11 दिसम्बर को मतगणना के बाद होगा।

शिवपुरी में असान नही है राजे की राह, रोचक है मुकाबला 

यूं तो शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा, कांग्रेस, सपाक्स,बसपा, आम आदमी पार्टी व निर्दलीय उम्मीदवार सहित 13 प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकावला भाजपा प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया और कांग्रेस प्रत्याशी सिद्धार्थ लढ़ा के बीच माना जा रहा हैं। अन्य प्रत्याशी महज वोट काटने तक सीमित माने जा रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी के बारे में कहा जा रहा है कि पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार बसपा प्रत्याशी इरशाद राईन वोट अपने पक्ष में ज्यादा खींच सकता हैं, जिसका सीधा फायदा भाजपा को होगा। 

जिले मेें करैरा का चुनाव सबसे खर्चीला,चारो प्रत्याशियो ने दमदारी से लडा चुनाव 

करैरा विधानसभा चुनाव में मतदान के अंत तक मुददे गायब हो गए। यह बताया जा रहा है कि जिले का सबसे खर्चीला चुनाव हुआ है। भाजपा की भाजपा से बागी हुए सपाक्स से चुनाव लड रहे पूर्व विधायक रमेश खटीक ने नींद हराम कर दी। तो वही कांग्रेस के जसंवत जाटव को बसपा के प्रगतिलाल जाटव ने डराया। बताया यह जा रहा है कि भाजपा में भितरघात की संभावना अधिक है। यहां चारो प्रत्याशियो ने दमदारी से चुनाव लडा है कौन हारेगा कौन जीतेगा आकलन संभव नही है। 

कोलारस में महेन्द्र वीरेन्द्र का संघर्ष नही,यादवो और रघुवंशियो का संघर्ष
कोलारस में इस बार चुनाव शुद्ध् रूप से जातिगत चुनाव हो गया। मुददे कहा गए,किसी भी प्रत्याशियो ने अपने क्षेत्र के विकास का मॉडल प्रस्तुत नही किया। वीरेन्द्र भाजपा के विकास कार्य गिना रहे थे तो महेन्द्र सिंधिया को सीएम बनाने के लिए चुनाव लड रहे थे। दोनो जातिया अन्य जातियो के अपनी ओर खीचने का प्रयास कर रहे थे। पूरे चुनाव में यादव और रघुवंशी मैदान में थे। इस चुनाव में वीरेन्द्र रघुवंशी को प्रत्याशी बनाए जाने का विरोध भाजपा में चरम पर था। भितरघात होने की प्रबल संभावना बनती है। चुनाव में कोई किसी से कम नही आंका जा सकता है कोलारस मे यह तय है कि हार जीत मामूली अंतर से होनी है। 

पोहरी:धाकड समाज एक विरोध में सारे समाज,त्रिकोणीय मुकाबला

भाजपा कांग्रेस द्वारा धाकड़ समाज के नेता को उम्मीदवार बनाने से हुआ त्रिकोणीय मुकाबला
कहा जाता है चुनाव में दोनों ही प्रमुख दल ब्राह्मण वर्सेष धाकड़ समाज के नेता को अपना उम्मीदवार चुनती आ रही थी, लेकिन इस बार भाजपा ने वर्तमान विधायक प्रहलाद भारती और कांग्रेस ने किसान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष सुरेश राठखेड़ा को अपना उम्मीदवार चुना है।  धाकड़ समाज के उम्मीदवारों के कारण अन्य समाज के नेताओं में आक्रोष का माहौल निर्मित हो गया। जिसका सीधा लाभ बसपा के उम्मीदवार कैलाश कुशवाह को मिल रहा हैं। या यू कह लो कि यह चुनाव धाकड वर्सेष अन्य समाज हो गया।  इस कारण पोहरी विधानसभा क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला है। तीनो प्रत्याशियो में काटे की टककर है। 

पिछोर: मुददे गायब,जातिवाद हावी,लोधी ओर अन्य समाज
आमतौर पर कहा जाता है कि लगातार पांचवी बार से अपनी जीत दर्ज करा रहे केपी सिंह की जीत का आधार लोधी वर्सेष अन्य समाज रहा है लेकिन इस बार के चुनाव में लोधी के साथ यादव समाज के मिल जाने से भाजपा कांग्रेस कांटे का मुकाबला नजर आ रहा है। लोगों का कहना है कि लोधी यादव के साथ अन्य समाज भी भाजपा के पक्ष में झुक सकता हैं, जिससे केपी सिंह की मुश्किलें बढ़ती हुई लग रही हैं।