शिवपुरी। जिले की पांचो विधासभा सीटों पर शांति पूर्वक मतदान हुआ है। मतदान का प्रतिशत भी बडा है। मतदान के संपन्न होने के बाद हार-जीत के कयास लगाए जाने लगे है। शिवुपरी समाचार डॉट कॉम ने पब्लिक से बातचीत के आधार पर भविष्य में झाकंने का प्रयास किया हैं। जिले में कांग्रेस वही की वही हैं,जिले में कांग्रेस को 3 सीट मिल सकती है, भाजपा को नुकसान हुआ है,क्यो कि एक विधानसभा में हाथी ने भाजपा को कुचल दिया है।
शिवपुरी विधानसभा
सिद्धार्थ लढा यशोधरा राजे के सामने अत्यंत कमजोर प्रत्याशी माने जा रहे थे। परंतु पब्लिक में राजे के खिलाफ असंतुष्टि और वैश्य समाज को टिकिट मिलने के कारण सिद्धार्थ राजे के समझ स्वत: ही मतबूत प्रत्याशी दिखने लगे,सिद्धार्थ युवा होने के कारण यूथ का जुडाव सिद्धार्थ की ओर देखाा गया,जिससे सोशल मिडिया पर कांग्रेस का युवा प्रत्याशी छाया रहा। चुनाव प्रचार के पूरे समय सिद्धार्थ लढा इतिहार बनाने की ओर दिख रहे थे,लेकिन जैसे ही चुनाव साईलेंट मोड पर आया मतदाताओ में चिंतन होनेे लगा। तुलनात्मक रूप दिया जाने लगा वैसे—वैसे राजे प्लस की ओर आ गई। इस चुनाव में सिद्धार्थ कांटे की टक्कर दी है,लेकिन इतिहास नही बन सकता है,राजे सकंट में होते हुए भी आगेे निकल सकती है।
पोहरी विधानसभा
इसके साथ ही अगर बात पोहरी विधानसभा की करें तो यहां से 20 प्रत्याशी चुनावी मैदान में है। जिनका भाग्य ईवीएम में कैद हो गया है। इस चुनाव में जीत का ताज आखिर किसके सिर बंधेगा। तो यह 11 तारीक को फाईनल होगा। शुद्ध् रूप से जातिगत विधानसभा में जातिगत समीकरण बिगडे और इसका फायदा बसपा के कैलाश कुशवाह को मिलने के अनुमान लगाए जा रहे है। यहां 2 धाकड उम्मीदवारो के प्रमुख दलो से आमने—सामने आने के कारण धाकड समाज बट गया। और इस चुनाव में ब्राहम्मण समाज किंगमेकर की भूमिका में आ गया। वह हाथी की सवारी कर गया। यहां ब्राहम्मण समाज को टिकिट की लडाई हारने के बाद भी जीत दिला सकता है। यहां हाथी की चाल सबसे तेज बताई जा रही हैं
कोलारस विधानसभा
यहां कांग्रेस ने उपचुनाव में जीतकर विधानसभा में पहुंचे महेन्द्र यादव पर पुन: दाव आजमाया है। वही भाजपा ने भी शिवपुरी विधानसभा से ही पूर्व में कांग्रेस से विधायक रहे और अब भाजपा में शामिल हुए वीरेन्द्र रघुवंशी पर अपना दाब आजमाया है। परंतु यहां जातिगत फैक्टर और दोनों ही प्रत्याशीयों को भितरघात का सामना करना पड सकता है। परतु माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में बसपा के सामने आने से और देवेन्द्र जैन के रूठने के चलते भाजपा को खामियाना उठाना पढ सकता है। हांलाकि अपनी समाज सहित अन्य जातिगत समीकरणों के आधार पर महेन्द्र को बीरेन्द्र से ज्यादा मजबूत माना जा रहा है।
पिछोर विधानसभा
जिले की पिछोर विधानसभा क्षेत्र से पिछले चुनाव में कक्काजू के समाने हार का सामना कर चुके प्रीतम सिंह लोधी को भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। यहां कक्काजू के सामने सबसे खतरनाक कांटा बनकर सामने आए बसपा के लाखन सिंह बघेल, परंतु यहां कक्काजू ने अपने चुनावी घोडों को दौडाकर इन्हे रास्ते से ही हटा दिया। उसके बाद भाजपा के प्रत्याशी प्रीतम लोधी ने यहां मतदाताओं को लुभाने हेमामालिनी सहित उमा भारती को चुनावी मैदान में झोंक दिया था। जिसके चलते यहां वह प्रबल दाबेदारी में आ गए थे। परंतु यह यहां से बसपा प्रत्याशी के साईड में हो जाने से कक्काजू फिर से उभरकर सामने आए और माना जा रहा है कि यहां से कक्काजू बढत हांसिल कर सकेंगे।
करैरा विधानसभा
जिले की करैरा विधानसभा में मुकाबला सबसे नजदीक का निकलकर सामने आया है। यहां कांग्रेस ने विधायक शकुंतला खटीक का टिकिट काटकर जसवंत जाटव को टिकिट दिया है। जबकि भाजपा ने टिकिट के प्रबल दाबेदार माने जा रहे रमेश खटीक का टिकिट काटकर राजकुमार खटीक पर दाब खेला। इस दाब के चलते रमेश खटीक ने भाजपा से बगावत कर दी और रमेश खटीक यहां से सपाक्स के टिकिट पर चुनावी मैदान में उतर गए।
यहां बसपा ने भी अपना दाब खेलते हुए प्रागीलाल जाटव को चुनावी मैदान में उतारा। जिसमें यहां मुकाबला आमने सामने का न होकर चार प्रत्याशी में हो गया। माना जा रहा है कि सपाक्स के रमेश खटीक के सामने आने से यहां राजकुमार खटीक कमजोर हो गए। अब मुकाबला सीधा सीधा कांग्रेस के जसबंत जाटव और बसपा के प्रागीलाल जाटव के बीच सीधा माना जा रहा है। जहां जसबंत जाटव बढत बनाते हुए दिखाई दे रहे है।
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