अगर कमलनाथ कोटे से आया शिवपुरी का टिकट तो यशोधरा राजे संकट में | Shivpuri News

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ललित मुदगल @एक्सरे/शिवपुरी। शिवपुरी विधानसभा में कांग्रेस हार की हैट्रिक पार कर चुकी हैं। कांग्रेस इस सीट पर वापसी के प्रयास में लगी हैं। वैसे तो इस सीट से शिवपुरी विधायक और प्रदेश मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया को मात देना काग्रेंस के लिए बडी चूनौती हैं। लेकिन राजनीतिक पंडितो की माने तो कमलनाथ कोटे से टिकिट आया तो यशोधरा राजे संकट में आ सकती है।आईए इस कमलनाथ कोटे का एक्सरे करते हैं।

शिवपुरी जिले पर सिंधिया राजपरिवार का पूरा प्रभाव हैं। शिवुपरी भाजपा के लिए इस कारण अजेय मानी जाती है कि यह चुनाव क्षेत्र सिंधिया राज परिवार की लाडली बेटी यशोधरा राजे सिंधिया का हैं। यशोधरा राजे सिंधिया यहां सन 89 से सक्रिय जब वे भाजपा की सदस्य भी नही थी। सन 89 के चुनाव में उन्होने भाजपा से समर्थित स्व:सुशील बहादुर अष्ठाना के लिए प्रचार किया था और इस विधानसभा से परचित हुई थी।

कांग्रेस की ओर बात की जाए तो राकेश गुप्ता के साथ कई कांग्रेसी नेता का नाम शिवपुरी से चल रहा हैं। राकेश गुप्ता सांसद सिंधिया प्रदेश चुनाव प्राभारी के के खास माने जाते है। लेकिन अगर पिछले चुनावो की बात कि जाए तो शिवपुरी विधानसभा सीट पर सासंद ज्योतिरादित्य सिंधिया शिवपुरी के टिकिट में हस्तक्षेप करने से मना कर देते है, इस बार भी ऐसा ही हुआ है। 

शिवुपरी का टिकिट कमलनाथ कोटे से हैं और राजनीतिक पंडितो की बात सही तो शिवपुरी का टिकिट पोहरी के पूर्व हरिबल्लभ शुक्ला का फायनल हो सकता है। हालाकि हरिबल्लभ शुक्ला पोहरी से टिकिट की मांग कर रहे हैं,लेकिन बताया जा रहा है कि भाजपा नेत्री उमा भारती ने जिले के पिछोर और पोहरी की टिकिट की मांग की है,पिछोर से प्रीतम लोधी और पोहरी से नरेन्द्र बिरथरे। 

अगर ऐसा होता है कि भाजपा पोहरी से किसी ब्राहम्मण को टिकिट देती है तो कांग्रेस किसी धाकड को उम्मीदवार बनाऐंगी। इस कारण हरिबल्लभ शुक्ला की शिवुपरी से चुनाव लडनें की सभांवना का गणित बनता दिख रहा है। अगर ऐसा होता है तो यशोधरा राजे संकट में आ सकती है।

चलो चलते है पिछले चुनाव की ओर 
सन 2013 के चुनाव में शिवुपरी विधानसभा से कुल 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। भाजपा की प्रत्याशी यशोधरा राजे सिंधिया को 76330 वोट मिले सबसे निकटतंम रहे कांग्रेस के वीरेन्द्र रघुवंशी को 65185 बोट मिले। हार जीत का अंतर 11 हजार का रहा,लेकिन इसमे चौकाने वाला परिणाम यशोधरा राजे सिंधिया के लिए यह रहा कि वह शिवपुरी विधानसभा के खोड क्षेत्र से 4 हजार ओर शिवपुरी ब्लॉक ग्रामीण से 3 हजार से हारी थी,लेकिन राजे का शहर ने साथ देते हुए 18 हजार से लीड दी,इस कारण यशोधरा राजे वीरेन्द्र रघुवंशी से 11 हजार वोटो से विजयी हुई थी

अगर सन 1998 का चुनाव के आंकडो पर गौर करे तो यशोधरा राजे सिंधिया काग्रेंस के प्रत्याशी हरिबल्लभ शुक्ला से 6 हजार मतो से जीती थी। यह चुनाव बडा ही रोचक हुआ था।वर्तमान की बात करे तो शिवपुरी शहर पिछले 5 साल से समस्याओ से ज़ूझ रहा हैं। ग्रामीण में भाजपा की स्थिती ठीक नही हैं। ग्रामीण ने राजे को हरा ही दिया था। इतिहास में पहली बार शिवपुरी में रानी नही पानी के नारे भी लग चुके है।

अगर हरिबल्लभ शुक्ला जैसे नेता सामने से होते है यशोधरा राजे को संकट का सामना करना पड सकता हैं। हरिबल्लभ आक्रमक नेता है,वाकपटुता और भाषणो में हरिबल्लभ शुक्ला को महारत हासिल हैं।इस बार सपाक्स भी भाजपा का वोट प्रतिशत गिरा सकती हैं। कुल मिलाकर उक्त समीकरण यशोधरा राजे के लिए शुभ सकेंत नही देते हैं। 
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