अमित शाह के मंच पर राजमाता को नही स्थान, बीजेपी की गाईड लाईन, है राजमाता क्षमा कर देना इन नादानो को

मै शिवपुरी हूॅ @ ललित मुदगल
मैं शिवपुरी हूॅ, भाजपा को आंचल में पाल-पोस कर समृद्ध् करने वाली श्रद्धेय राजमाता की कर्मस्थली-तपस्थली। मेंरे यहां 9 (शिवपुरी) अक्टूबर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह  आ रहे र्हैं। प्रदेश की भाजपा इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत से जुट गई है। इसी कार्यक्रम को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा तैयारियों का जायजा लेने शिवपुरी आ गए थे। उन्होने कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर गाइड लाइन जारी की हैं। जारी गाइड लाइन में राजमाता का छायाचित्र गायब हैं। 

मैं शिवपुरी हूॅ, प्रभात झा ने कहा कि अमित शाह का जो मंच बनेगा उस पर हमारी राजमाजा और भाजपा की लोकमाता का मंच पर फोटो नही होगा। मंच पर केवल भारता माता, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और श्यमा प्रसाद मुखर्जी का चित्र होगा। इन 3 चित्रों के अतिरिक्त किसी का चित्र का नही होगा। स्वागत बैनरों की गाइड लाइन भी जारी की गई हैं। इन स्वागत बैनरों में भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह, मप्र के सीएम शिवराज सिंह और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह के अतिरिक्त किसी का फोटो स्वागत बैनरों पर नही होगा। स्व: अटल जी और राजमाता के प्रेरक प्रंसगो का उल्लेख सभा स्थल पर कर सकते हैं। यह तो वह बात हुई की एक बहू की सास गांव में अपने दिन काट रही हैं, लेकिन बहू घर में अपनी सास के साथ नही रह सकती और दिन भर मोहल्ले में अपनी सास की चिंता कर सबके सामने रोती रहती हैं।

मैं शिवपुरी हूॅ, भाजपा की इस गाइड लाइन बड़ी ही चौकाने वाली हैं। एक ओर तो भाजपा श्रद्धेय राजमाता को लोकमाता का दर्जा देने के लिए उनका जन्मशताब्दी वर्ष मनाने की घोषणा कर चुकी हैं, जन्मशाताब्दी बर्ष का प्रदेश का पहला कार्यक्रम 12 अक्टूबंर को ग्वालियर में किया जा रहा हैं, लेकिन भाजपा अपनी लोकमाता को उनकी ही कर्मस्थली—तप स्थली पर शिवपुरी में उनके छायाचित्रों को उचित स्थान न देकर क्या दर्शाना चाहती हैं। यह समझ से परे हैं। 

मैं शिवपुरी हूं, हे राजमाता में भाजपा के अक्षम्य अपराध की आपसे क्षमा दान चाहती हूॅ, क्योेंकि कहीं न कहीं जनसंघ जो बाद में भाजपा बना को तुम्ही ने अपने खून पसीने से सींचा था। तुमने इस संगठन के लिए उस समय अपना तन मन धन समर्पित कर दिया जब लोग अपना खाली समय तक नहीं देते थे। तुमने महलों के वैभव को छोडक़र भाजपा को शक्तिशाली बनाने के लिए संघर्ष का मार्ग स्वीकार किया। तुम सड़कों पर उतरीं तो मेरी लाखों संतानों ने तुम्हे राजमाता से लोकमाता के रूप मेें स्वीकार किया। आज यह सगठन आपकी कर्मस्थली में अपनी ताकत दिखाने जा रहा हैं, ओर आपके साथ क्या व्यवहार कर रहा हैं, शब्दों में उकेरना मुश्किल हैं।

मैं शिवपुरी हूॅ, कही न कही भाजपा का उदय भी मेरी कोख से भी हुआ है, क्योंकि मैं तुम्हारी कर्मस्थली हूं। जिस समय देश में भाजपा के गिने चुने सांसद होते थे, उस समय मैं उस संसदीय क्षेत्र की नगरी रही हूं जिसने तुम्हे सांसद बनाकर भाजपा को शक्ति दी। इस समय देश और प्रदेश में उसी भाजपा का शासन है, जिसे मैने शिशु अवस्था में अपने आंचल की छांव दी है। हर्ष होता है कि अपनी भाजपा अब संपूर्ण यौवन पर है, लेकिन सोचती हूं कि इस भाजपा ने तुम्हे और मुझे क्या वापस किया। 

मुझे मालूम है राजमाता, तुम्हारा आक्रोश कैसा होता है। मैने तुम्हारे डर से इंदिरा गांधी को घबराते देखा है। तुम्हारे प्रेम में लोगों को जान लड़ाते देखा है। लोगों के हित के लिए तुम्हे रातों रात जागते हुए देखा है और भगवान श्रीराम मंदिर आंदोलन के समय अपने विवाह की सबसे प्रिय अंगूठी को दान करते देखा है। तुम्हारी न्यायप्रियता और दण्डशक्ति सदैव लोकप्रिय रही है परंतु हे राजमाता, इन नादान नेताओं को क्षमा कर देना, जो आजकल तुम्हारी भाजपा के सर्वेसर्वा बन गए हैं।  

मै शिवुपरी हूॅ, मुझसे आपका यह अपमान सहन नही होता हैं। इतना कहना चाहती हूॅ कि अगर कही भाजपा को आपका आंचल नही मिला होता आपका प्यार नही मिला होता, तो यह मंचासीन होने वाले नेता कही पार्षद का चुनाव भी नही लड़ पा रहे होते हैं। क्योंकि अहंकार किसी का नही ज्यादा दिनो तक जिंदा नही रहता।