कोला के रस में मेंडेड किसका: पत्तों की आंधी या रेत का रिश्ता

उपदेश अवस्थी/भोपाल। शिवपुरी में इन दिनों चुनावी जंग से ज्यादा रोचक टिकट की लड़ाई हो चुकी है। जनता किसे चुनेगी यह तो बाद की बात है, फिलहाल तो यह तय नहीं हो पा रहा है कि पार्टी किसे चुनेगी। 6 बार सर्वे हुए। अलग-अलग नतीजे आए। फिर दंड वालों से पूछा। उन्होंने भी कुछ और ही कह डाला। कार्यकर्ताओं से पूछने के लिए नेताजी को भेजा। फिर एक नाम को सबसे आगे रखा गया लेकिन टिकट का टंटा जारी है। 

जो पत्ते बिखर गए थे, उन्हे फिर से समेटा जा रहा है। वो नहीं तो मैं सही का खेल भी खेला जा रहा है। पिछला वाला होता तो इतनी परेशानी नहीं आती, सारी सेटिंग पहले से थी परंतु दिल्ली वाले ने भोपाल वाले को बदल दिया इसलिए सारी कसरत फिर से करनी पड़ रही है। श्यामला हिल्स गए थे, समर्थकों की परेड करा दी। ग्वालियर के ठाकुर के दरबार में हाजरी लगा आए। कुछ नहीं हुआ तो लौट गए। सुना है फिर से बुलाया गया है। पहुंच भी गए हैं। बस एक ही कोशिश है। पत्तों के बंडल साथ में हैं, बस काम कर जाएं। 

इधर कानून के पचड़े में फंसे मंत्रीजी एक नाम पर अड़ गए हैं। 
बंदे में दम है लेकिन पार्टी में समर्थन बहुत कम है। 
बावजूद इसके रेत के रिश्ते का करम है। 
गारंटी मिली है अच्छे दिन आएंगे। 
जब उत्तम आशीर्वाद है तो इंद्रों में वीर ही टिकट हथियाएंगे।