कोलारस चुनाव: गृह क्लेश से परेशान भाजपा, क्षेत्र में कुशल नेता की तलाश | kolaras

इमरान अली कोलारस। अभी हाल ही में कोलारस में हुए उपचुनाव में कांग्रेस की जीत से उत्साहित कांग्रेस अपने आपको कोलारस आमचुनाव में विजयी मान रही है। अतिउत्साह से लबरेज कांग्रेस यहां अपनी जीत तय मानकर अहंकार में बैठी है। वही भाजपा यहां अपने प्रत्यासी चयन और भितरघात का आकलन लगाने में लगी हुई है। इस बार मायाबती और कमलनाथ के बीच हुए सीटों के बटवारे में कोलारस कांग्रेस के पक्ष  में ही जाने के आसार है। यहां से कांग्रेसी प्रत्यासी की जीत के बाद इस सीट को कांग्रेस अपनी मानकर इस सीट से चुनाव लडेगी। पिछली बार की तरह यहां से बसपा अपना उम्मीदवार मुश्किल ही उतारेगी। 

भाजपा में दिन दोगुनी रात चैगनी गती से बड़ रहे दावेदारो और सोशल मीडिया पर चल रहे आपसी खींचातान को लेकर परेशान है। साथ ही कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल हुए बागी नेता भी टिकिट की हुंकार भर रहे है।  कांग्रेस टिकिट वितरण को लेकर संतुलित नही है। दोनो ही पार्टीयो के वरिष्ठ नेता बार बार एक के बाद एक सर्वे कराने में लगी है। लेकिन हर बार नए आंकड़े सामने आने से असंमजस में है। 

कांग्रेस की अगर मानें तो प्रदेश चुनाव समिति की कमान हाथो में आने के बाद टिकिट की गेंद पूर्ण रूप से क्षेत्रीय सांसद श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथो में चली गई। प्रथम दृष्ठता में कांग्रेस से टिकिट के लिए दाबेदारी बहूमूल्य और जातीगत समीकरणो के आधार पर तय माना जा रहा है। जिसके तहत कांग्रेसे से तत्कालीन विधायक महेन्द्र यादव, बैजनाथ सिंह, यादव मुनिया यादव के नाम शामिल है। वहीं दूसरी तरफ देखे में कांग्रेस इस बार ज्यादातर चुनाव युवा चेहरे को टिकिट देकर युवाओ को नया आयाम देने पर विचार बना रही है।

ऐसे में कोलारस नगर परिषद में 14 वर्ष से काबिज रविन्द्र शिवहरे पर सबकी नजर है। इसके साथ ही बता दे की उपचुनाव के दौरान विधायक पूत्र महेेन्द्र यादव को टिकिट देकर कांग्रेस ने पूर्व विधायक रामसिंह यादव को टिकिट देकर उनहे श्रंदाजली दी थी। उसके फलस्वरूप कांग्रेस से उपचुनाव में करीब 8000 मतो से जीत दर्ज कराई थी। लेकिन जनता की नजर आज भी पूर्ण रूप से परिपक्व और कुशल राजनेता की तलाश है। ऐसे में गेंद किस पाले में जाती हैै यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। 

स्थानीय राजनीती में युवाओ की पहली पसंद रविन्द्र शिवहरे
राहुल गांधी के फार्मेट में अगर टिकिट वितरण हुआ तो उसमे पहला नाम क्षेत्रीय युवा और लोकप्रिय नेता कोलारस नगर परिषद अध्यक्ष रविन्द्र शिवहरे का है। कोलारस नगर परिषद की तीसरी बार कमान थामे युवा नेता रविन्द्र शिवहरे का खुद का नेेटर्वक बहुत बड़ा है जिले भर की राजनीती में उनका सीधा दखल माना जा रहा हैं। सरपंच, जिलापंचायत, जनपद पंचायत के चुनावो में रविन्द्र्र शिवहरे का महत्वपूर्ण यागदान रहा है। रविन्द्र्र शिवहरे की लोकप्रियता किसी से ढकी छुुपी नही है।

धार्मिक, सामाजिक, खेल औेर अन्य उत्सवो मेें तन मन धन से अहम योगदान रहता है। नगर परिषद के अलावा क्षेत्रिय समस्याओ का भी निवारण करते है। रविन्द्र शिवहरे के विकास कार्यो से क्षेत्रिय लोग वखूभी बाकिफ है उनका व्यक्तित्तव प्रभावशाली है उनहे राजनीती का चाणक्य माना जाता है। युवाओ मेें उनकी काफी लोकप्रियता है चुनावो में युवाओ का अहम योगदान माना जााता है ऐसे में युुवा वोटरो के कारण क्षेत्र का प्रतिनिदित्व करने का मौका दिया गया तो सबसे पहला नाम नपाध्यक्ष रविन्द्र शिवहरे का सामने आएगा।

अपने ही अधिनस्तो से परेशान भाजपा, भीतरघात का होगी शिकार -
अटेर, चित्रकूट, कोलारस और मुंगावली उपचुनाव में भाजपा के शीर्ष नेत्रत्व में मिली करारी हार के बाद भाजपा सख्ते में है। जिसके चलते आने वाले आम चुनाव को लेकर फूंक फूक कर कदम रख रही है। वहीं दूसरी और कोलारस में विधानसभा चुनाव को लेकर टिकिट दावेदारो की कतार दिन व दिन बड़ती जा रही है। ऐसे में टिकिट की दम भाजपा से एक दर्जन से ज्यादा लोग भर रहे है। टिकिट की हुंकार भरनेे वाले अपने अपने आकाओ को साधने में लगे है एवं अपना अपना राग अलापने में लगे है। इसके साथ ही कई भाजपा छोटे बड़े नेता शोषल मीडिया पर अपना धुखड़ा रो रहे है।

कुछ सोशल मीडिया पर टिकिट के लिए प्राईवेट सर्वे करने मेें लगे है एवं गुपचुप तरीके से अपने चहेतो के लिए टिकिट की कतार में आगे पीछे कर खुद की चित खुद की पट करने में लगे है। ऐसे में भाजपा के उपर भीतरधात का संकट मंडरा रहा हैै। जैसा की उपचुनाव के दौरान साफ देखा गया था। उपचुनाव के दौरान कोलारस नगर की हार पर स्थानीय भाजपा नेताओ पर जमकर दगावाजी के आरोप प्रत्यारोप लगे थे। जिनकी शिकायत प्रदेश के शीर्ष नेत्रत्व तक पहुंच गई थी। पार्टी के कुछ कार्यक्रताओ ने प्रदेश के मुखिया के मंच के सामने उपचुनाव में घात करने वाले लोगो केे नामो की पर्चियां लहराई थी। ऐसे में आने वाले चुनाव में भाजपा को स्थानीय नेताओ की दोहरी गती से भीतरघात की मार झेलनी पड़ सकती है।