प्रयुर्षण पर्व: पांच वृतों का पालन अवश्य करें- अमित पारख

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शिवपुरी। प्रयुर्षण पर्व आत्मा के उद्वार का पर्व है, इन दिनों में हमें जीवदया, साधर्मी भक्ति, चेत्यपरिपाठी, अठ्ठम तप और क्षमापना पांच वृतोंं का पालन अवश्य करना चाहिए, उक्त बात आज पर्युषण पर्व के प्रथम दिन जावरा से पधारे अमित पारख ने कही। उन्होने कहा कि हम ज्यादा से ज्यादा धर्म आराधना कर सके तभी हम अपने आप को सुधार पाऐंगें। उन्होंने कठोर शब्दों में यह तक कह डाला कि महिलाऐं जिस लिपिस्टिक का इस्तेमाल करती है वह भी गलत चीजों से मिलकर बनाया जाता है। 

इसलिए कम से कम से आठ दिन उनका इस्तेमाल ना करे, साथ ही उन्होंने रात्रि भोजन सार्मथानुसार तप अठ्ठम तप, उपास, एकासना, व्यसना, आयंबिल करने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें प्रतिदिन माता-पिता के चरण स्पर्श करना चाहिए साथ ही मंदिर, देवदर्शन और देवपूजा भी करनी चाहिए। आठ दिनों में होने वाले कार्यक्रमों में समय की पाबंदी पर जोर देते हु उन्होंने कहा कि जिस तरह से हम कहीं नौकरी करते है या हमारी दुकान का समय निश्चित होता है उसी तरह से इन आठ दिनों को आप परमात्मा का आदेश समझकर समय का विशेष ध्यान रखें। 

जावरा से पधारे सौरभ काठेड़ द्वारा आज प्रवचनों का वाचन किया गया। आज पर्युषण के प्रथम दिन शाम की आरती की बोली लगाई गई, जिसका लाभ प्रदीप काष्टया परिवार द्वारा लिया गया। आज की प्रभावना का लाभ अशोक सांखला परिवार द्वारा लिया गया। प्रतिदिन प्रवचन का समय प्रात: 9 बजे रखा गया है। श्वेताम्बर जैन समाज के अध्यक्ष दशरथमल सांखला ने निवेदन किया है कि समाज बन्धुजन इन आठ दिनों में होने वाले समस्त कार्यक्रमों में अधिक से अधिक संख्या में पधारकर धर्म प्रभावना को बढ़ाएं। 

आठ दिन तक चलने वाले पर्यूषण पर्व प्रारंभ, धर्माराधना कराने के लिए भीलवाड़ा से आईं बहिनें
पर्यूषण पर्व आत्मा के उत्थान का पर्व है। पर्व के आठ दिनों में आत्मा पर विशेष रूप से ध्यान केन्द्रित किया जाता है। उक्त उद्गार स्थानीय पोषद भवन में भीलवाड़ा राजस्थान से आईं श्रीमती शांता पोखरना ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। पोषद भवन में किसी संत और साध्वी का चातुर्मास न होने के कारण जैन समाज के लोगों को धर्म आराधना कराने के लिए भीलवाड़ा राजस्थान से श्रीमती शांता पोखरना और श्रीमती कांता सांखला पधारीं हुईं हैं। 

पोषद भवन में प्रतिदिन सुबह साढ़े आठ बजे से प्रवचन प्रारंभ हुए जिसमें सबसे पहले श्रीमती कांता सांखला ने अंतगढ़ सूत्र का वाचन किया। इसके बाद श्रीमती शांता पोखरना ने पर्यूषण के महत्व को बताते हुए कहा कि वर्ष में 8 दिन धार्मिक आराधना करने के होते हैं। इन आठ दिनों में हमें अधिक से अधिक धर्म आराधना करनी चाहिए। व्रत, उपवास, सामायिक, प्रतिक्रमण करना चाहिए जिससे आत्मा की साफ सफाई हो सके।

उन्होंने कहा कि वर्ष में अन्य दिनों में तो हम सांसारिक क्रियाओं में लिप्त रहते हैं और अपनी आत्मा की ओर हमारा जरा भी ध्यान नहीं जाता, लेकिन पर्यूषण पर्व में हमें आत्मा की उन्नति के लिए पुरुषार्थ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने पुरुषार्थ कर केवल्य ज्ञान प्राप्त किया। हम मिथ्यात्व को छोडक़र सम्यकत्व की स्थिति को प्राप्त करें। पर्यूषण पर्व में कम से कम मोबाइल का इस्तेमाल करें, टीव्ही आदि न देखें और अधिक से अधिक तपस्या करने की कोशिश करें तभी हमारा क्षमावाणी पर्व मनाना सार्थक होगा। 
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