
संभव है कि इसमें कुछ सत्यता हो और कुछ अफवाहें परंतु शिक्षा विभाग के सूत्र ने एक लिस्ट भेजी है, जिसमें यह बताया गया है कि रिटायमेंट के बाद किन किन कागजों पर बैक डेट में हस्ताक्षर किए गए। इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि यह रिटायर्ड डीईओ गिल को बदनाम करने की एक साजिश भी हो सकती है परंतु सवाल यह है कि रिटायर होने के बाद गिल अपने परिवार के पास क्यों नहीं जा रहे। उनके शिवपुरी में डटे रहने का राज क्या है। क्यों ना रिटायर्ड डीईओ गिल इन तमाम अफवाहों को झूठा प्रमाणित करें और सरकारी आवास खाली करके निकल जाएं। उनके इस कदम से उस वरिष्ठ अधिकारी की तरफ उठ रहीं उंगलियां भी थम जाएंगी जिसने शायद भावनाओं में आकर सहयोग कर दिया है।
इस मामले में प्रतिक्रिया के लिए रिटायर्ड जिला शिक्षा अधिकारी परमजीत सिंह गिल से संपर्क करने का प्रयास किया गया परंतु उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। यदि उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त होती है तो अपडेट की जाएगी।