
डॉक्टर तो बड गए लेकिन उन्है बैठने की व्यवस्था नही दी गई। इसी कारण इन दिनों ओपीडी में दो-दो तीन-तीन चिकित्सक 10-5 मिनिट खड़े होकर इधर से उधर निकल जाते हैं और कुछ चिकित्सक को अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर दो-दो तीन-तीन दिन के हस्ताक्षर करके जिला अस्पताल भी आना उचित नहीं समझ रहे हैं।
चिकित्सकों का कहना है कि जिला अस्पताल में हम बैठे तो कैसे बैठे हमें बैठने के लिए कुर्सी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। हम मरीजो को कैसे देखे। एक डॉक्टर बैठकर मरीजो को देख रहा होता है तो कई डॉक्टर खडे रहेते है। और खडे होकर मरीजो को देखना संभव नही है।
समय के साथ बढ़ता है ओपीडी का शुल्क
जहां मप्र सरकार प्रदेश में मरीजो का नि:शुल्क उपचार करने का दावा कर ही है। लेकिन शिवपुरी के अस्पताल में ओपीडी का पर्चे के रूप में 10 रूपए शुल्क लिया जाता है,लेकिन अगर आप दोपहर बाद गए तो यह शुल्क 20 रूपए हो जाता है। अगर आपका मरीज भर्ती हुआ तो अब 50 रूपए का शुल्क आपको चुकाना होगा। वही ग्वालियर में भर्ती शुल्क 30 रूपए है। इससे साफ जाहिर होता है कि जिला चिकित्सालय शिवुपरी में सुविधाए निम्र है और शुल्क ग्वालियर से भी ज्यादा।
मेडीकल स्टोर पर नि:शुल्क दवाओं का भी अभाव
जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों व अपना चैकअप कराने आने वाले नागरिकों को जिला अस्पताल से नि:शुल्क दवाईयां उपलब्ध कराने के लिए सरकार भले ही दावा करती है कि उन्हें बाहर से दवा नहीं लेना पड़ेगी बल्कि जिला अस्पताल में नि:शुल्क दवायें उपलब्ध कराई जाएगी लेकिन शिवुपरी जिला अस्पताल में गिनी चुनी दो-तीन तरह की दवाओं को छोड़ दिया जाए तो जिला अस्पताल में दवायें भी उपलब्ध नहीं हैं।
दवाओं के अभाव में मरीजों को डला रहना पड़ता हैं क्योंकि चिकित्सक बाहर की दवा लिख नहीं सकते हैं। इसके कारण भले ही मरीज दर्द से क्यों न कराहाता रहे लेकिन उन्हें मरीज से कोई लेना देना नहीं हैं