जनसुनवाई बनी मजाक: अधिकारीयों का मोह भंग, जनसुनवाई में देरी से पहुंचे, मोबाईल चलाते रहे अफसर

इमरान अली, कोलारस। मध्यप्रदेश सरकार ने एक छत के नीचे सभी शासकीय विभागो के अफसरो को लाकर इसलिए बैठाया जिससे कि जनता की सारी समस्याओ को निजात एक ही छत के नीचे मिल सके इस प्रक्रिया को जनसुनवाई नाम दिया गया। मध्यप्रदेश सरकार ने जनसुनवाई के आवहान जनता की भलाई के लिए किया लेकिन का लेकिन अफसरो के गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते जनसुनवाई में लोगो कि समस्याऐं एक कागज तक सिमट कर रह गई है। 

बीते रोज हुई जनसुनवाई में जनसुनबाई के जिम्मेदार कोलारस एसडीएम 12:10 मिनिट पर जनसुनवाई में पहुंचे। इस दौरान आवेदक आवेदन देने के लिए अधिकारीयो के इंतजार में बैठे रहे। जनपद सीईओ सुमन चौहान 12:12 मिनिट पर जनसुनबाई पहुंची नगर परिषद सीएमओ 12 बजे जनसुनवाई पहुंची कोलारस तहसीलदार महेन्द्र कथुरिया जनसुनबाई से नदारद रहे शहर एवं ग्रामीण दोनो आरआई देरी से जनसुनवाई में पहुंचे ऐसे में लोगो का आवेदन के लिए भटकना आम बात है।

इसके साथ ही कोलारस एसडीएम जनसुनवाई में पहुचे मतो आवेदनकर्ताओ सुनने की वजह अधिकारी मोबाइल चलाने में व्यस्त देखे गए। ऐसे में यह कहने में भी कोई गुरेज नही होगा की जब से अफसर लापरवाह हुए तबसे लगातार जनसुनवाईयो से जनता का मोह भंग होता गया और लगातर दर्जनो आवेदन देने के बाद भी लोगो की मूल समस्याओ का निराकरण जनसुनवाईयो में नही किया जाता ऐसे कई उदाहरण भरे पड़े है। 

हर जनसुनवाई में बार बार आवेदन देकर लोग समस्या समाधान कराने के लिए आते है लेकिन आवेदनो पर सुनबाई न होने से जनसुनवाई में कागजो का बोझ बड़ता जाता है। अगर हम पिछले महिनो का रिर्कोड उठाकर देखे तो साफ जाहिर हो जाएगा कि जनसुनवाई में जनता कि किस हद तक अनसुनवाई हो रही है। जिम्मेदार अधिकारीयो की कारगुजारी से जनता का जनसुनवाई से मोह भंग होता जा रहा है। 

क्यूं जनसुनवाई से मायूस लौट रहे लोग, मार्क प्रथा चलन में -
इस मामले कि गंभीरता को जानने की कोशिश कि तो पता चला जनसुनबाई में जनता कि अनसुनवाई क्यूं हो रही। बात ये है प्रति मंगलवार को जिले एवं सभी ब्लॉक स्तर पर एक छत के नीचे जनसुनवाई इसलिए की जाती है क्यूं कि वहां सभी विभागो के जिम्मेदार एक क्षत के नीचे मौजूद रहे लेकिन कई विभागो के अधिकारी जनसुनवाई से नदारद रहेते है और कई अधिकारी जनसुनवाई के समय से काफी देर से जनसुनवाई में पहुंचते है।

इसके अलावा जनसुनवाई में सबसे बड़ी खामी सामने आई है कि जिम्मेदार अफसर पिछले आवेदनो कि मोनिटरिंग नहि करते चाहे इसे समय कि कमि कहिये या मोह भंग वह सिर्फ आवेदन को देखकर जिम्मेदारो को मार्क कर दिया जाता है। मार्क प्रथा का कोलारस में जोरो शोरो से पालन किया जा रहा है। उसके बाद यह तक नही पूछा जाता की उस आवेदन का निराकरण हुआ के नही।जिससे निचले स्तर के जिम्मेदार या तो आवेदन को दबाकर बैठ जाते है। या मामले को ठंडे बस्ते में डाल देते है। जिससे जनता का वविश्वास जनसुनवाईयो से उठता जा रहा है।  

आवेदनकर्ताओ ने शिकायत के बाद की कार्यवाही की मांग -
जनसुनवाई में करन कुशवाह ने आवेदन देकर शिकायत करते हुए कहा की रमतला में 234 नंबर सर्वे पर प्राथी की भूमी है। जिस पर उसके अन्य परिजनो ने कब्जा कर रखा है जिस पर से कब्जा हटवाया जाए। इसके साथ ही ग्राम साखनौर निवासी रामसेवक ने जनसुनवाई में गुहार लगाते हुए कहा की प्राथी की खेती करने की जमीन पर रामप्रकाश निवासी खैराई ने मेरे खेत पर जाने वाले रास्ते पर तार फेंसी कर कब्जा कर लिया है। जिस पर कार्यवाही करते हुए रास्ता खूलवाया जाए।  

नए एसडीएम के रवैये से जनता नाराज -
बताया जाता है की नए एसडीएम साहब की कार्यप्रणाली से जनता में रोष बड़ता जा रहा है। साथ ही पिछले दिनो कोलारस एसडीएम प्रदीम तोमर के तीखे तेवरो का सामना जनता को करना पड़ा उस डर के कारण भी कुछ लोग जनसुनवाईयो में जाने से डगमगाने लगे है। पिछली जनसुनवाई में एसडीएम प्रदीप तोमर ने ग्रामीणो से ढोर चराने तक की बात तक कह दी थी। जिसके चलते एसडीएम की चारो और आलोचना हुई थी इसके बाद जनसुनवाई में हालात जस के तस बने हुए है।