स्वसहायता समूह: महिला सशक्तिकरण की दिशा में पेश की अनूठी मिशाल

शिवपुरी। शिवपुरी जिले में महिला स्वसहायता समूहों ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में अनूठी मिशाल पेश की है। आज समूहों की महिलाएं स्वयं का स्वरोजगार स्थापित कर अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदाय कर रही है। यह कार्य ग्रामीण अजीविका मिशन द्वारा स्वसहायता समूहों के कारण ही संभव हुआ है। शिवपुरी जिले के कोलारस तहसील के ग्राम कमरौआ के जयभीम स्वसहायता समूह की जाटव समाज की 11 महिलाए, समूहों से जुडऩे से पहले गांव में खेतों पर मजदूरी करती थी, मजदूरी में मुश्किल से उन्हें 50 रूपए मजदूरी मिल पाती थी। 

लेकिन आज महिला स्वसहायता समूहों से जुडऩे से जहां महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है, वहीं उनके इस कार्य की सभी ओर सराहना हो रही है और उन्हें पूरा मान एवं सम्मान भी मिल रहा है। उनके इस कार्य के लिए पिछलें दिनों केंद्रीय ग्रामीण विकास, पंचायती राज एवं खान मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर द्वारा दिल्ली में जयभीम समूह को प्रदेश का सर्वश्रेष्ठ समूह के रूप में एक लाख की पुरस्कार राशि सहित शील्ड, प्रशंसा पत्र प्रदाय कर समूह की महिलाओं को सम्मानित किया और उनके इस कार्य की सराहना की। 

कोलारस तहसील के ग्राम कमरौआ में अनुसूचित जाति जाटव समाज की 11 महिलाओं के स्वसहायता समूहों ने जहां स्वरोजगार प्राप्त किया है, वहीं आज वे अन्य लोगों को भी रोजगार देने की स्थिति में है। उन्होंने स्वसहायता समूहों के माध्यम से यह सिद्ध कर दिया है कि अगर महिलाए ठान लें तो उनके लिए कोई काम कठिन नहीं है। 

यह सब कर दिखाया है, कमरौआ ग्राम की 11 महिलाओं के स्वसहायता समूह ने। स्वसहायता समूह की महिला सदस्य श्रीमती धाना जाटव ने बताया कि समूह से जुडऩे के पहले वह खेतों पर मेहनत-मजदूरी कर मुश्किल से 50 रूपए प्राप्त कर पाते थे। 

ग्रामीण आजीविका मिशन जिला समन्वयक डॉ.अरविंद भार्गव एवं अन्य अधिकारियों द्वारा महिलाओं का समूह गठित करने की सलाह दी। शुरू में गांव की ही 11 महिलाओं का समूह गठित कर 10-10 रूपए बचत कर एकत्रित राशि से शुरू में धाना जाटव ने एक बकरी खरीदी। इसके बाद समूह से 01 लाख 22 हजार का लेनदेन कर बकरियां खरीदी। 

आज समूह के माध्यम से वे 01 लाख 05 हजार रूपए की बकरी बेच चुकी है और 01 लाख की बकरियों अभी उनके पास है। आज उन्होंने समूह से 40 हजार का लोन लेकर एवं स्वयं के पास से 30 हजार थे इस प्रकार 70 हजार रूपए में दो कमरे भी बना लिए है। समूह की सदस्य श्रीमती सुमत्री जाटव ने भी समूह के माध्यम से 50 हजार की बकरियां खरीदी और गांव की महिलाओं को सिलाई का भी प्रशिक्षण दे रही है। 

समूह की सदस्य श्रीमती कुसमुल जाटव ने बताया कि 10 वर्ष पूर्व राजा की मुढ़ेरी में उसकी शादी हुई थी। लेकिन गांव में कोई रोजगार का साधन न होने से वे अपने माँइके आकर समूह से जुड़ गई और समूह से 1 प्रतिशत ब्याज पर ऋण लेकर 40 बकरी एवं एक भैंस ली। 

आज वे समूह के माध्यम से 1 लाख 17 हजार का लेनदेन कर चुकी है। साथ ही बटाई पर टमाटर की भी फसल कर ही है। समूह की सदस्य श्रीमती ममता जाटव ने बताया कि उसके द्वारा भी 50 हजार का लेनदेन कर 20 हजार की राशि से भैंस पालन कर रोजगार मिला है। इसी प्रकार प्रेमा जाटव ने बकरी पालन हेतु और सम्पदा जाटव ने खेती एवं भैंस पालन हेतु 40 हजार रूपए का ऋण प्राप्त किया। समूह की सदस्य गिरजा जाटव ने बताया कि उसने समूह से 1 लाख रूपए का लेनदेन किया है जिसमें उसने टमाटर की फसल से 80 हजार का मुनाफा लिया है। 

समूह की सदस्य श्रीमती प्रेम बाई धनिराम ने एक लाख 65 हजार का लेनदेन कर बकरी पालन शुरू किया। जिससे 80 हजार रूपए की बकरियां बेची। समूह की सुनीता नाहर सिंह जाटव ने बताया कि उसने समूह से ऋण लेकर एक टेक्टर खरीद लिया है। जिससे किसानों को किराए पर टेक्टर भी दे रही है। समूह की सदस्य स्वरोजगार देने के साथ सामाजिक जागरूकता एवं सामाजिक कुरूतियां दूर करने के भी अलख जगा रही है। ग्रामीणों को समूह के माध्यम से शौचालय निर्माण कर उपयोग करने हेतु जागरूक किया जा रहा है, वहीं शासन की योजनाओं को भी ग्रामीण महिलाओं के बीच में जाकर जानकारी दे रही है। 

समूह की महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरस्कार की 01 लाख की राशि जो प्राप्त हुई हैं, उसका भी उपयोग महिलाओं को विभिन्न स्वरोजगार स्थापित करने हेतु ऋण के रूप में उपयोग करेंगी। इस पुरस्कार के मिलने से जिले के साथ गांव का नाम रोशन हुआ है। और महिलाओं का मान एवं सम्मान बढ़ा है। समूह की महिलाओं द्वारा समूहों से जोडऩे हेतु श्योपुर एवं गुना में जाकर महिलाओं को विभिन्न स्वरोजगार से जुडऩे हेतु प्रशिक्षण भी दे चुकी है।