
चर्चाएं हो रहीं हैं कि इस भवन का निर्माण विधानसभा चुनाव से पहले पूरा करने की प्लानिंग है। सुशील रघुवंशी चाहते हैं कि उनके रहते यह निर्माण पूरा हो जाए लेकिन इसके पीछे मंशा यह नहीं है कि चुनाव में कार्यकर्ताओं को अच्छा कार्यालय दिया जा सके बल्कि कुछ और ही है। सवाल उठ रहे हैं कि यदि निर्माण कार्यकर्ताओं के लिए ही होना था तो उन्हे आमंत्रित भी किया जाना चाहिए था। शिवपुरी शहर में एक छोटे से संदेश पर कम से कम 500 से ज्यादा कार्यकर्ता जमा हो जाते हैं और फिर ऐसी क्या इमरजेंसी आ गई थी कि शुक्रवार को बिना पूर्वसूचना के भूमिपूजन कर निर्माण कार्य शुरू दिया गया।
बताया जा रहा है कि निर्माण कार्य का ठेका सुशील रघुवंशी ने अपने नजदीकी अरविंद बेडर के संपर्क वाले को दिया है। इसके लिए सार्वजनिक टेंडर या कुटेशन जैसी प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। सवाल यह है कि क्या यह फायदा पहुंचाने के लिए किया गया या फिर फायदे में भागीदारी है। लोग इसे वित्तीय प्रबंधन से जुड़ा मामला भी बता रहे हैं। भाजपा के कुछ लोग चाहते हैं कि पार्टी स्तर पर इसकी जांच होनी चाहिए। कुछ वित्तीय व्यवहार हैं, जिनका आॅडिट होना चाहिए।
पिछले दिनों भाजपा के कोषाध्यक्ष रामू बिंदल को हटा दिया गया था। माना जा रहा था कि यह कोलारस उपचुनाव के कारण हुआ परंतु अब कानाफूसी हो रही है कि यह परिवर्तन कार्यालय निर्माण के लिए था। सुशील रघुवंशी और रामू बिंदल के बीच वित्तीय मामलों को लेकर पटरी नहीं बैठ रही थी। सुशील रघुवंशी को चाहिए कि अपने ऊपर उठ रहीं उंगलियों के मामले में स्थिति स्पष्ट करें। कोई ऐसी प्रक्रिया अपनाएं जिससे वो खुद को निष्कलंक साबित कर सकें। फिलहाल कोई खुलकर सामने नहीं आया है, परंतु आज चर्चाएं हैं तो कल पार्टी मंच पर और परसों सार्वजनिक भी हो जाएंगी।
इस मामले में श्री सुशील रघुवंशी से बात करने की कोशिश की गई परंतु वो फोन पर उपलब्ध नहीं हुए। यदि उनका बयान प्राप्त होता है तो प्रकाशित किया जाएगा।