फोगिंग मशीन घोटाला: पूर्व नपाध्यक्ष सीएमओ सहित 6 के खिलाफ चालान पेश

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शिवपुरी। नगर पालिका शिवपुरी में साल 2012 में हुए फोगिंग मशीन घोटाला मामले में आखिरकार लोकायुक्त पुलिस ने मंगलवार को डीजे कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रिशिका अष्ठाना, तत्कालीन सीएमओ पीके द्विवेदी सहित छह लोगों के खिलाफ चालान पेश होने के बाद 50-50 रुपए की जमानत पर रिहा किया गया है। ग्वालियर से लोकायुक्त टीआई आराधना डेविस चालान लेकर शिवपुरी दोपहर 12 बजे आ गईं थीं। कोर्ट में पहुंचने के बाद एक-एक कर पांच आरोपी पहुंच गए। लेकिन पूर्व नपाध्यक्ष रिशिका अष्ठाना चार घंटे बाद कोर्ट पहुंची। हालांकि उनके पति व भाजपा नेता अनुराग अष्ठाना कोर्ट पहले ही पहुंच गए थे। 

जानकारी के मुताबिक फोगिंग मशीन घोटाले की शिकायत एडवोकेट विजय तिवारी ने 28 मई 2014 को लोकायुक्त में शिकायत की थी। लंबी जांच के बाद लोकायुक्त ने 26 अगस्त 2016 को तत्कालीन सीएमओ हेल्थ ऑफिसर, दोनों स्वच्छता निरीक्षकों, एवं मशीन सप्लाई करने वाले ठेकेदार के विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 और भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत दोषी मानते हुए पहले ही केस दर्ज कर लिया था।

जांच आगे बढ़ी और अप्रैल 2018 में लोकायुक्त ने मामले में पूर्व नपाध्यक्ष रिशिका अष्ठाना के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया। अप्रैल 2018 में ही कोर्ट में चालान पेश होना था, लेकिन लोकायुक्त पुलिस चालान पेश हीं कर पाई। काफी इंतजार के बाद 19 जून 2018 को डीजे कोर्ट में चालान पेश कर दिया है। यहां बता दें कि नगर पालिका शिवपुरी में साल 2012 में 2.25 लाख कीमत की मशीन 6.25 लाख रुपए में खरीदी गई। 

चालान पेश होने पर कोर्ट में पहुंचे ये आरोपी 
रिशिका अष्ठाना,पूर्व नपाध्यक्ष भाजपा 
प्रदीप द्विवेदी, तत्कालीन सीएमओ नपा 
अशोक शर्मा, तत्कालीन एचओ (नपा) 
भारत भूषणपांडेय, स्वच्छता निरीक्षक 
सुखदेव शर्मा, स्वच्छता निरीक्षक 
ठेकेदार,शिवपुरी 

इन बिंदुओं पर हुई जांच 
फोगिंग मशीन खरीदने नपा ने 1 जून 2011 को निविदा बुलाई। 
ठेकेदार ने 6.25 लाख की निविदा डालकर जिस कंपनी व जिस मेक की मशीन का कैटलॉग प्रस्तुत किया, वह मशीन नहीं लाई गई। 

18 जनवरी 2012 को निविदा के दस्तावेज लोकायुक्त टीम ने लिए। गवाहों के आधार पर पता चला कि शासन को 4 लाख रुपए क्षति पहुंचाई। ठेकेदार ने 15 जून 2012 को 6.25 लाख रुपए का बिल नपा में प्रस्तुत किया, जिस पर न तो ठेकेदार का कोई पंजीयन क्रमांक व टिन नंबर नहीं था। 
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