खबर का असर: 12 साल बाद समाप्त हुआ पर्यटकों का इंतजार, खुल गया संग्रहालय

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शिवपुरी। शहर को बीते 12 साल से बंद पड़े संग्रहालय का इंतजार अब खत्म हो गया है। अब शहर के दो बत्ती चौराहे पर स्थिति संग्रहालय को आम आदमी के लिए खोल दिया है। इस मामले को लेकर शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने कई बार प्रमुखता से खबरों का प्रकाशन किया था। परंतु इन खबरों के प्रकाशन के बाद विभाग में फीता काटने को लेकर विबाद चलता रहा। सहमति बनती और फिर फीता कटने की डेट टल जाती। जब प्रशासन ने उक्त मामले की प्रकाशित कई खबरों को पड़ा तो फिर निर्णय लिया की इस संग्रहालय को पब्लिक के लिए बिना फीता काटे ही खोला जाएगा। 

इस संग्रहालय में जाने से पहले सबसे खास बात यह है कि पैरों से दिव्यांगों को आने जाने के लिए यहां अलग से रैंप बनाया गया है। वहीं आंखों से दिव्यांगों के लिए यहां प्रवेश द्वार के पास ही ब्रेल लिपि में इतिहास दर्शाया है जिससे वह भी यहां की पुरातत्व विधा को आसानी से समझ सकेंगे। 

पुरातत्व विभाग के निदेशक डी एन ढिमरी ने संग्रहालय के बेहतर डिजाइनिंग और कामकाज के लिए इंचार्ज संग्रहालय राजेंद्र यादव की सराहना की। जब उनसे पूछा गया कि क्या दूसरी मंजिल पर भी शेष बची मूर्तियों को लगाया जाएगा,तो वह बोले कि हम इसकी प्लानिंग कर रहे हैं।

बीते 8 माह से उद्घाटन की बाट जोह रहा था संग्रहालय 


पिछले 12 साल से बंद पुरातात्विक महत्व के जिला संग्रहालय को आम आदमी के लिए खोल दिया गया है। खास बात यह है कि यह पूर्ण रुप से बनकर तैयार था पर बीते 8 माह से इसका उद्घाटन नहीं हो पा रहा था। इस उद्धाटन को लेकर शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने कई खबरें प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान करोड़ो की बेरंग पड़ी इस इमारत की और खींचा। 

पुरातत्व विभाग से आए दिशा निर्देश के बाद अंतत: इसकी शुरुआत कर दी गई। जिसमें तीन गैलरियों में 9 से 11 वी शताब्दी की पुरातात्विक धरोहर को संजोया गया है। जिसमें इनके इतिहास,पुरातत्व की समरी और चित्रों के साथ सिक्कों और जैन मूर्तियों के वैभव को करीने से प्रस्तुत किया गया है। 

शहर के छत्री रोड स्थित जिला संग्रहालय के नवीनीकरण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 2001 में भगवान महावीर जन्म जयंती के 2600 वर्ष के उपलक्ष्य में 1 करोड़ रुपए स्वीकृत किए थे। 

जिसमें स्थानीय विधायक यशोधरा राजे सिंधिया की भी सक्रिय योगदान था। इसके बाद यहां बजट आने के बाद यहां निर्माण कार्य शुरु हुआ और इसके बाद बजट की और आवश्यकता पड़ी तो 1 करोड़ रुपए इसके लिए स्वीकृत हुआ। पर निर्माण कार्य शुरु होते- होते यह काम सितंबर 2017 में पूर्ण हो गया। और इसकी सूचना पुरातत्व विभाग ने भारत सरकार को दी। पर निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी इसका उद्घाटन नहीं हो सका था। अंतत: 8 माह बाद अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर इस संग्रहालय को खोलने का निर्णय लिया गया। 

यहां न केवल जैन तीर्थंकरों की 9 से 11 वी शताब्दी की चित्ताकर्षक,मनोहारी प्रतिमाएं हैं, जो खुदाई में नरवर,राजगढ़ और आस पास के कस्बों और गांवों से प्राप्त हुई है। वरन हिंदू धर्म की कई मूर्तियां और प्रतीक तत्समय के इतिहास से हमें रूबरू कराते है। इसके अलावा मुगलकालीन सिक्के,चांदी और अष्टधातु के सिक्कों सहित यहां कई तरह की पेंटिंग भी है जो दर्शाती थीं कि किस तरह से मुगलकाल में चित्रकारी कला का प्रादुर्भाव हुआ था। मुगल और राजपूत काल के कई अन्य सामग्रियां भी यहां पर्यटकों की रिझाती है। इसके बंद होने से पर्यटक सन 2006 से यह सब देखने से वंचित रहे। यानि 12 साल से पर्यटक इसके खुलने की बाट जोह रहे थे। 

भित्ति चित्रों के साथ आदि मानव गुफा आकर्षण का केंद्र 

यहां प्रवेश द्वार के समीप केमिकल ट्रीटमेंट से आदि मानव गुफा का निर्माण कराया गया है। इस गुफा में भित्ति चित्रों के माध्यम से बताया गया है कि किस तरह से हमारा आदिमानव जीवन था। इसके साथ साथ कई शैल चित्र और पुरातात्विक सामग्री इस संग्रहालय को अनूठा बनाती है। 
सिंधिया राजवंश के सिक्कों के साथ आदि मानव काल की संस्कृति का प्रदर्शन 

इस संग्रहालय में सिंधिया राजवंश के सिक्कों के साथ आदि मानव काल की संस्कृति का प्रदर्शन किया गया है। जिसमें मुहर बताई गई है कि सिंधिया राजवंश के समय कौन सी मोहर चलती थी और फिर जब अंग्रेजों का शासन काल आया तो कौन सी मोहरें चली। इनके अलावा तात्याटोपे और महारानी लक्ष्मीबाई के जीवन से जुड़े पहलुओं को भी सचित्र प्रस्तुत किया गया है। इसमें तोप,बंदूक,दो नाली बंदूक,टोपीदार बंदूक के साथ तलवार अस्त्र शस्त्र और बर्तन मटके आदि शामिल है। 

ये तीन गैलरी जिसमें है पुरात्व महत्व की संपदा 

अतीत के झरोखे से शिवपुरी: शिवपुरी का प्रारंभ प्रागैतिहासिक काल से लेकर सन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को प्रदर्शित किया गया है। वीथिका का दरवाजा शैलाश्रय में खुलता है जिसमें प्रागैतिहासिक मानव दिखाए गए है। 

ब्राह्मण एवं बौद्ध कला केंद्र: 

वीथिका दो में ब्राह्मण एवं बौद्ध कला को प्रदर्शित किया गया है।जिसमें सुरवाया गढ़ी का प्रतिरूप,ध्यानस्थ कुलिश,मंदिरों के द्वार बौद्ध प्रतिमाएं,मुद्रांक सहित कई सूचनाएं है। 

जैन कला एवं धरोहर: 

वीथिका 3 में जैन कला एवं धरोहर को प्रदर्शित किया गया है। जिसमें 12-13 वी शताब्दी की 24 तीर्थंकरों की मूर्तियों के साथ उनका केश विन्यास और उनका विवरण पर्यटकों को आकर्षित करता है। 

शुक्रवार को नहीं खुलेगा 

पुरातत्व संग्रहालय की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर हुई। पर्यटक यहां की पुरा संपदा को शुक्रवार को छोडक़र प्रतिदिन सुबह 9 से शाम 5 बजे के बीच देख सकते है। 
आबिद खान,असिस्टेंट आर्कियोलॉजिस्ट जिला संग्रहालय,शिवपुरी 
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