प्रशासन की नाक के नीचे झोलाछाप बांट रहे मौत का सामान, प्रशासन मौन

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इमरान अली, कोलारस। साल महीने दिन घंटे सब गुजर गए जाने कितने अधिकारी आए गए लेकिन कार्यवाही की बात सब ने की लेकिन पूर्णता तरीके से कोई भी आज तक झोलाछापो के हौसलो को नही हिला पाया झोलाछापो के आगे पूरी प्रशासन बोना बन बैठा है। झोलाछाप डॉक्टर नगर में वर्षा से सिंघासन जमाए बैठे है और खुलेआम दबाओ के बदले दर्द बांट रहे है लेकिन प्रशासन अभी तक इनपर अंकुश लगाने में कामयाब नही हुआ है। 

ग्रामीण अंचलो सहित नगर में राई रोड, जगतपुर, मानिपुरा, एप्रोच रोड, ए.बी. रोड, अस्पताल रोड जैसी जगहो पर दर्जनो झोलाछाप अपना झोला जमाए बैठे है। जब भी किसी नए अधिकारी की आमद कोलारस विधानसभा में होती है। तो सबसे पहले वह क्षेत्र में हर तरह के गलत कार्यो पर अंकुश लगाने की बात करते है। पर जब कार्यवाही की बात सामने आती है तो सभी मुंह फेर लेते है। 

आखिर क्या वजह है की झोलाछापो पर पूर्णता लगाम नही लग पा रही आखिर क्यूं कई बार कानून के हाथ झोलाछापो के गले तक पहुंचकर वापस आ जाते है। ऐसे में दर्जनो सवाल उठना तय है आखिर ऐसा कौन सा कारण है की कानून के हाथ भी झोलाछापो के आगे बोने लगने लगे है। सबसे अचंभित करने वाली बात यह है की स्वास्थ विभाग पर अभी तक अवैध अस्पतालो और झोलाछाप डॉक्टरो के सही आंकड़े भी मौजूद नही है। ऐसे में स्वास्थ विभाग के द्वारा कार्यवाही करना तो दूर उनका पता लगाना भी प्रशासन के लिए चुनौती समान है। 

दबाब में झोपाछापो पर कार्यवाही फिर खुल गई दुकानें, बोना साबित हुआ प्रशासन  
विकासखण्ड के अंतर्गत बीते वर्षो में कई छोटी बड़ी कार्यवाही शिवपुरी और कोलारस की टीमो ने छापामार कार्यवाही कि गई पर जिन झोलाछाप डॉक्टरो कि दुकानों को सील किया गया था वह दुकानें कार्यवाही के चंद दिन बाद ही खुल जाती है। फिर से झोलाछाप डॉकटरो का निराला खेल इस क्षेत्र में शुरू कर दिया है। 

यहां झोलाछाप डॉक्टरो के हौसले इतने बुलंद है कि नीयमो को खुटे पर टांग कर और नीयमो को सिरहाना रखकर खुलेआम प्रशासन को सरेआम चुनौती दी जा रही है। और स्वास्थ महकमा गहरी नींद में सोया हुआ है। अभी तक यह समझ नही आता आखिर ऐसा कौन सा नीयम है जो झोलाछापो पर कार्यवाही कर कुछ दिन बाद ही दुकानें खुलबा दी जाती है।

और बन गए डॉक्टर -
आस पास के क्षेत्र के बंगाली नीम हकीम और ग्रामीण नगर में अपनी दुकाने जमाए वर्षो से वैठे है इस का कारण है ग्राम के कम पड़े लिखे लोग अपने स्तर से सोर्स लगाकर किसी भी डॉक्टर के यहां एक साल छ: माह काम करने के बाद ही अपने आपको डॉक्टर मानने लगता है। ये झोलाछाप डॉक्टर फिर कहीं भी एक कुर्सी टेवल डालकर बैठ जाते है और फिर लोगो की जिंदगी से खेलते नजर आते है।  

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