
संघ सदैव सामाजिक समरसता का पक्षधर रहा है लेकिन संघ को समझना अरुण यादव जैसे कमजोर बुद्धि के व्यक्ति के बस की बात नहीं ।शर्मा ने कहा कि अरुण यादव किस मुँह से दलित हितों की बात करते हैं उनकी पार्टी ने संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर को दो दो बार लोकसभा का चुनाव हराया अरुण यादव स्वयं आदिवासी नेता कांतिलाल भूरिया की कुर्सी छीनकर काँग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बने हैं अगर अरुण यादव में नैतिकता है और वह अनुसूचित जाति जनजाति के अधिकारों की रक्षा के प्रति समर्पित हैं तो उन्हें तुरंत काँग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से त्यागपत्र देकर श्री कांतिलाल भूरिया को काँग्रेस प्रदेश अध्यक्ष बनाने का समर्थन करना चाहिये।