
जीत ली बाजी...उपचुनाव में कोई जीते कोई हारे ज्यादा फर्क नही पड़ता लेकिन मैंने अपने जीवन का सबसे बड़ा संकल्प पूर्ण कर लिया वो ये कि किसी भी सहरिया आदिवासी बस्ती ने शराब नहीं पी,ओर दारू की बोतल के बदले अपना वोट नही बेचा..हां कुछ नेताओं ने गरीब लोगों को नोट बांटकर वोट लेने का प्रयास जरूर किया आगामी अभियान में इस कुप्रथा को भी बन्द कराएगी सहरिया क्रांति--संजय बेचैन