
छठवें सबसे कम नंबर वाले विषय के नंबरों को न तो रिजल्ट में जोड़ा जाएगा और न ही उसका असर विद्यार्थी के पास या फेल होने पर होगा। इस साल मार्च में होने वाली परीक्षा से ही यह सिस्टम लागू हो जाएगा।
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने हाईस्कूल के बच्चों को एक और सहूलियत दी है। पिछले साल एक से दो विषय में सप्लीमेंट्री देना शुरू किया पर कई बच्चों की शिकायत रहती थी कि हायर सेकंडरी की तरह ही उन्हें भी पांच विषयों के आधार पर ही पास-फेल या डिवीजन दी जाए। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा समिति ने इस प्रस्ताव को पारित कर दिया।
अभी दसवीं कक्षा में स्टूडेंट को अनिवार्य रूप से छह विषयों की परीक्षा देना होती है। कई बार किसी किसी वजह से वह एक विषय में पास नहीं हो पाता है। ऐसे में उसे संबंधित विषय में सप्लीमेंट्री आती है और उसे दोबारा परीक्षा देना पड़ता है।
अब नई व्यवस्था में उसे एक विषय में पूरक नहीं आएगी। इसके बजाय उसने जिन छह विषयों की परीक्षा दी है, उसमें देखा जाएगा कि पहले किन पांच विषयों में उसके अच्छे अंक आए हैं। इसके बाद इन्हीं पांच विषयों के अंकों को जोड़कर रिजल्ट बनाया जाएगा। इसी आधार पर उसका परीक्षा परिणाम घोषित होगा। ऐसे में अधिकांश छात्रों को एक विषय में पूरक आने की आशंका खत्म हो जाएगी।
यह होगा लाभ
मंडल के इस कदम से उन छात्रों को लाभ होगा, जिनका एक विषय में पूरक आने से आत्मविश्वास डगमगा जाता है। अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि लगभग 80 फीसदी मामले ऐसे होते थे, जिनमें एक विषय में पूरक आती थी। अब नई व्यवस्था लागू होने से छात्रों को भी राहत मिल सकेगी।