भोपाल। शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट का उपचुनाव अब सीएम शिवराज सिंह चौहान के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। शुरूआत में सीएम ने इस चुनाव का सारा दारोमदार प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान पर छोड़ दिया था परंतु अब कमान अपने हाथ में ले ली है। दनादन 3 दौरों के बाद अब प्रत्याशी की खोज भी तेज हो गई है। कांग्रेस की तरफ से यादव प्रत्याशी तय हो गया है अत: भाजपा को सारे समीकरण ध्यान में रखने होंगे। अब तक टिकट की रेस में पत्ता कारोबारी देवेन्द्र जैन और कांग्रेस मूल के भाजपा नेता वीरेन्द्र रघुवंशी के नाम सामने आ रहे थे परंतु गुरूवार को नए संकेत मिले हैं। कोलारस मूल के भाजपा नेता सुरेन्द्र शर्मा का नाम भी सुर्खियों में आ गया है।
सीएम शिवराज सिंह चौहान गुरूवार को शिवपुरी जिले के रन्नौद गांव में थे। यहां उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत की। सहरिया समाज की चौपाल में भी गए। लौटते समय भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य सुरेन्द्र शर्मा को अपने साथ हैलीकॉप्टर में ले गए। सीएम का यह कदम क्षेत्र की राजनीति में नए समीकरण पैदा कर गया है। कहा जा रहा है कि सुरेन्द्र शर्मा भी एक दमदार दावेदार हो सकते हैं। शर्मा पिछले 3 माह से लगातार कोलारस विधानसभा में भाजपा के लिए काम कर रहे हैं। वो कोलारस मूल के ही रहने वाले हैं।
कौन है सुरेन्द्र शर्मा
सुरेन्द्र शर्मा शिवपुरी में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिलाध्यक्ष रहे। इसके बाद वो संगठन मंत्री बनकर निकल गए और एबीवीपी के प्रांतीय संगठन मंत्री बने। बाद में आरएसएस ने उन्हे भाजपा में भेज दिया। संघ से नजदीकी के चलते उनकी पकड़ हमेशा से मजबूत मानी जाती रही है। भाजपा में उन्हे प्रदेश कार्यसमिति सदस्य बनाया गया। कोलारस विधानसभा के गांव मढ़वासा के रहने वाले सुरेन्द्र शर्मा को भाजपा ने कोलारस विधानसभा की तैयारियों के लिए भेजा था। वो पिछले 3 माह से लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय हैं।
टिकट के दावे में दम कैसे
खबर है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूर्व विधायक रामसिंह यादव के परिवार में उनके बेटे महेन्द्र यादव को टिकट देने का मन बना लिया है। ऐसी स्थिति में भाजपा को एक ऐसा चेहरा चाहिए जो बाहरी ना हो, जातिवाद के समीकरण में फिट बैठता हो और जिस पर कालाधन जैसे आरोप भी ना हों। भाजपा की तरफ से पत्ता कारोबारी देवेन्द्र जैन अपनी दावेदारी प्रमुखता से जता रहे हैं लेकिन कोलारस में उन्हे बाहरी माना जाता है। करोड़पति कारोबारी होने और पूर्व विधायक व सत्ता के दूसरे पदों पर उनके परिवारजनों की मौजूदगी रहने के कारण वो काफी विवादित भी रह चुके हैं। दूसरे दावेदार कांग्रेस मूल के नेता वीरेन्द्र रघुवंशी हैं। उनकी छवि ठीक है परंतु भाजपा के भीतर वीरेन्द्र रघुवंशी का काफी विरोध है। रघुवंशी को आज भी सिंधिया विरोधी कांग्रेसी ही माना जाता है। कोलारस में ब्राह्मण वोटों की संख्या निर्णायक है। ब्राह्मण अब लामबंद भी हो गए हैं। सीएम ने सहरिया आदिवासियों के वोटों पर कब्जा कर ही लिया है। यादव प्रत्याशी के विरोध में रघुवंशी और वैश्य वोट भी भाजपा को ही मिलना तय हैं। ऐसी स्थिति में सुरेन्द्र शर्मा की संभावनाओं को नकारा नहीं जा सकता।
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