किसानों की समस्याओं और बदरवास में लाठीचार्ज की न्यायिक जांच के लिये कांग्रेस का प्रतिनिधि मण्डल मिलेगा सीएम से

शिवपुरी। प्रदेश के मुख्यमंत्री के सेसई सडक, शिवपुरी आगमन पर जिला कांग्रेस, किसानों का एक प्रतिनिधि मण्डल किसानों व आमजन की समस्याओं को लेकर एक 7 सूत्रीय ज्ञापन सौंपने इस बाबत जा रहा है, ताकि मौके पर प्रदेश के मुखिया इन समस्याओं को हल करने हेतु सम्बन्धित को आदेशित करें। उक्त जानकारी देते हुए कांग्रेस जिला प्रवक्ता हरवीर सिंह रघुवंशी ने बताया कि निम्न बिन्दुओं को लेकर कांग्रेस का एक दल प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौपेंगा कि घोषणा नहीं अमली जामा चाहिये।

यह रखेंगें मांगें
06 दिसम्बर के बदरवास आगमन पर आपके ही समक्ष प्रशासन द्वारा आयोजित किसान एवं हितग्राही सम्मेलन में पुलिस प्रशासन द्वारा किसानों पर लाठीचार्ज किया गया और निर्दोष किसानों को जेल में बन्द किया, इस प्रकरण की न्यायिक जांच हो।

शिवपुरी जिला सूखाग्रस्त घोषित है। भूराजस्व संहिता में स्पष्ट उल्लेख है कि सूखाग्रस्त होने पर किसानों को मुआवजा  दिया जाये। बीमा तो किसानों को कम्पनियों द्वारा दिया जाता है, शासन तत्काल किसानों को 50 हजार रूपये प्रति हेक्टेयर मुआवजा दे।

जिला विधिवत 03 साल से सूखाग्रस्त घोषित है। ऐसी स्थिति में किसानों के समस्त कृषि ऋण एवं बिजली के बिल माफ किये जाये तथा जिले के 3700 किसानों पर फर्जी बिल के आधार पर न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराये गये हैं उन्हें तत्काल शासन वापस ले तथा शासन द्वारा घोषित 16 घण्टे थ्री फेस बिजली पर्याप्त वोल्टेज के साथ उपलब्ध कराई जाये तथा हजारों गांवों में बिजली नहीं है लेकिन बिल दिये जा रहे हैं, ऐसी स्थिति में पुराने समस्त बिल माफ किये जायें।

आदिवासियों को कांग्रेस की यूपीए सरकार द्वारा लागू वन अधिनियम के तहत पुन: उनके अधिकार दिलाये जायें तथा यह सुनिश्चित हो कि प्रत्येक आदिवासी/अनुसूचित जाति तथा हर गरीब वर्ग के व्यक्ति को 2011 के सर्वे अनुसार आवास मिले तथा आदिवासियों को सीधी भर्ती के रूप में नौकरियां दी जायें, जिसका प्रावधान है।

कांग्रेस सरकार द्वारा प्रत्येक गरीब को एक और दो रूपये किलो खाद्यान्न देने की योजना लागू की थी, लेकिन पात्रता पर्ची के नाम पर समस्त हितग्राहियों को खाद्यान्न नहीं मिल रहा है। अत: पात्रता पर्ची के बाध्यता को समाप्त करते हुए राशन कार्ड के आधार पर हर गरीब को राशन मिले तथा सूखाग्रस्त क्षेत्रों में मजदूर और खेतीहर मजदूर तथा किसानों को भी खाद्यान्न उपलब्ध कराया जावे।

राजस्व विभाग की ऑनलाइन प्रक्रिया में हजारों किसानों की जमीन में फेरबदल किया गया है, किसान अपने स्वामित्व की भूमि को अपने नाम न पाकर तहसीलों के चक्कर लगा रहा है और पुरानी रजिस्ट्री और किताब लिये घूम रहा है अत: 10 दिन के अन्दर अभियान चलाकर उसकी राजस्व भूमि दुरूस्त की जावे।

अंचल में सिंचाई योजनाओं की प्रति 05 साल में घोषणाऐं होकर सर्वे तो होता है लेकिन कोई भी वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वीकृति राज्य सरकार ने इन 14 सालों में नहीं दी है। अत: घोषणा नहीं वित्तीय आदेश जारी हों तथा पीने के पानी हेतु हर गांव गरीब बस्तियों में बोर खनन किये जायें।

भावान्तर योजना - यहकि इस योजना के तहत मॉडल दर पर अन्तर की राशि सिर्फ पंजीकृत किसानों को दिये जाने का प्रावधान है, जिससे आम किसान वंचित रहा है और योजना लागू होते ही किसान का विगत दो साल का भाव गिरकर जमीन पर आ गया था। अत: प्रत्येक किसान को समर्थन मूल्य से कम बिकने पर तत्काल मण्डी में ही शेष राशि का भुगतान हो।