शिवपुरी पेयजल घोटाला: दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों पर हो सकती है FIR

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शिवपुरी। नगर पालिका में पानी भ्रष्टाचार जांच कमेटी ने सिद्ध कर दिया है। इस भ्रष्टाचार में जल्द ही दोषी फर्मो के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो सकती है। यह पूरा प्रकरण  इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है पेयजल परिवहन के मामले में पार्षदों को भी दोषी करार दिया जा रहा है। जबकि देखा जाए तो पार्षद इस मामले में कहां से कहांतक दोषी है क्योंकि पार्षद एक मनोनीत जनप्रतिनिधि होता है। इन पानी के टेंकरों का वितरण कराने का काम तो सब इंजीनियर एवं नगर पालिका के कर्मचारियों का रहता है और उन्हीं की निगरानी में यह कार्य संपादित होता है।

वहीं दूसरी तरफ ठेकेदार द्वारा विधिवत रूप से टेंडर ले कर पानी के टेंकर शर्तों के अनुसार संचालित किए जाते हैं। इन दोनों ही व्यक्तियों द्वारा शहर में पानी सप्लाई का कार्य किया जाता है और जनप्रतिनिधि तो सिर्फ और सिर्फ उन अधिकारियों का सहयोग ही करते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि दोषी लोगों पर ही कार्यवाही हो तो ठीक है। यदि कुछ चुनिंदा जनप्रतिनिधि इस पानी के भ्रष्टाचार में  संलिप्त हैं तो उनकी जांच कराई जाए और पूरे मामले को दूध का दूध और पानी का पानी तरह साफ किया जाएगा और यदि संलिप्त पाए गए जनप्रतिनिधि दोषी है तो उनके के खिलाफ भी वैधानिक कार्यवाही की जाए। वैसे तो पेयजल परिवहन घोटाले की जांच में नया मोड़ आ गया है। 

जांच समिति की अध्यक्ष जिला पंचायत सीईओ नीतू माथुर के बयान से स्पष्ट है कि किसी भी वार्ड पार्षद और उसमें पेयजल परिवहन करने वाले ठेकेदार को क्लीन चिट नहीं मिली है। जांच समिति ने माना है कि 23 वार्डों में पेयजल परिवहन में धांधलियां और भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। इसका अर्थ यह माना गया था कि 39 में से शेष बचे 16 वार्डों में पेयजल परिवहन का कार्य नियमानुसार और ईमानदारी पूर्वक किया गया, बताया जाता है कि शेष 16 वार्डों में पेयजल परिवहन की जांच एसडीएम पोहरी मुकेश सिंह कर रहे हैं जिनकी जांच रिपोर्ट जल्द ही आ जाएगी।

पार्षदों का क्या अधिकार प्रमाणिकरण का! 
यदि एक नजर दौड़ाई जाए तो शहर में संचालित नपा के टेंकरों के चक्करों को प्रमाणित करने का काम पार्षदों का नहीं बल्कि नपा द्वारा बनाए गए संपबैल पर बैठे अधिकारी एवं कर्मचारियों का है क्योंकि वह संपबैल पर पूरी तरीके से नपा के टेंकरों के चक्करों दर्ज करते हैं और उसी आधार पर लॉगबुक भी भरी जाती है। उन्हीं के प्रमाणी करण के आधार पर ही ट्रेक्टर व टेंकरों के ठेकेदारों को भुगतान किया जाता है। क्योंकि पार्षद कोई नगर पालिका का अधिकारी या कर्मचारी नहीं उन्हें जनता द्वारा चुना हुआ जनप्रतिनिधि है जो जनता की आवाज को नगर पालिका तक पहुंचाने का काम करता है, न की उनके दस्तावेजों को प्रमाणित करने का। 

अधिकारियों की जांच रिपोर्ट पर पार्षदों ने उठाये सवाल 
जांच रिपोर्ट आने के बाद नगरपालिका में हडक़ंप का वातावरण है। जिन वार्डों में पेयजल परिवहन में गडबडिय़ां पाई गई हैं। वहां के पार्षदों ने जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़े करते हुए अतिरिक्त कलेक्टर अनुज रोहतगी को ज्ञापन सौंपा हैं। ज्ञापन में आरोप लगाया है कि जांच समिति ने फील्ड में जाकर जांच करने के स्थान पर टेबिल पर बैठकर पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है जबकि पेयजल परिवहन अनुबंध की शर्तों के अनुसार किया गया। पार्षदों ने ज्ञापन में तर्क दिया कि अनुबंध की शर्तों में पंचनामा बनाए जाने का उल्लेख नहीं था इसी कारण पार्षदों ने अपने वार्डों में पेयजल सप्लाई हेतु पंचनामा नहंीं बनवाया। अनुबंध की शर्तों के अनुरूप छोटे ट्रेक्टर टैंकर चालकों ने पेयजल परिवहन कार्य किया है जिसकी तस्दीक पार्षदों ने की है। 

लॉगबुक नगरपालिका के तकनीकी एवं जिम्मेदार अधिकारियों ने प्रमाणित की है जिसके  आधार पर पेयजल परिवहन का भुगतान किया गया। पेयजल परिवहन कार्य पूर्ण हो जाने पर तथाकथित शिकायत पर जांच समिति गठित की गई है और जांच समिति ने टेबिल वर्क संस्कृति के अनुरूप कार्य किया है। ज्ञापन सौंपने वाले पार्षदों में श्रीमति रेखा परिहार, चंद्रकुमार बंसल, बलवीर यादव, साहिस्ता खान, अनीता भार्गव, देवेंद्र शर्मा, जरीना शाह, संजय परिहार, हरिओम नरवरिया, सुरेंद्र रजक, लालजीत आदिवासी, डॉ. विजय खन्ना और श्यामलाल राजे आदि शामिल हैं।  

पानी के टेंकरों की भुगतान के लिए नपा में जल्द बुलाया जाए विशेष सम्मेलन
कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने वाले पार्षदों ने मुख्य नगर पालिका अधिकारी और नगर पालिका अध्यक्ष से पेयजल परिवहन के ठेकेदारों को भुगतान के लिए परिषद का विशेष सम्मेलन बुलाने की मांग की है। पार्षदों ने ज्ञापन में कहा कि नगर के विभिन्न वार्डो में पेयजल संकट गहरा गया है लेकिन नगर पालिका द्वारा चलाए गए टेंकर-ट्रेक्टरों का भुगतान नहीं हुआ है जिससे पेयजल प्रभावित वार्डो में पेयजल की सप्लाई नहीं हो पा रही है। इसलिए पेयजल परिवहन का तत्काल भुगतान करने हेतु परिषद का विशेष सम्मेलन बुलाया जाए। 
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