DPC का यह कैसा निरीक्षण: हकीकत कुछ और खबर में कुछ और

ललित मुदगल @एक्सरे/ शिवपुरी। प्रेस में सुर्खियो में रहने वाले डीपीसी शिवपुरी की मीडिया में लगभग प्रतिदिन किसी न किसी बहाने छपने का रोग लग गया है। इनके निरिक्षण प्रिंट मिडिया में लाईव छपते है। आज भी इनके निरिक्षण की खबर को ग्वालियर से प्रकाशित एक समाचार पत्र ने लीड खबर बनाया है। शिक्षकों को बदनाम करने वाली इस खबर की शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने एक्सरे किया तो हकीकत कुछ और थी और खबर में कुछ ओर...

केस नं. 1 शासकीय माध्यमिक विद्यालय बिची
उक्त स्कूल के निरिक्षण को लेकर इस खबर में प्रकाशित हुई है कि इस स्कूल में पदस्थ शिक्षिका गायत्री भदौरिया पिछले 4 माह से स्कुल नही आई है और विधिवत वेतन भी आहरण कर रही है। स्कूल में स्टाफ पर उनकी दादागिरी चलती है। खबर में बताया गया है कि इस बात का खुलासा डीपीसी शिरोमणि दुबे के निरीक्षण के दौरान हुआ है। 

लेकिन शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने इस मामले की पड़ताल कि तो शिक्षिका गायत्री भदौरिया का एक्सीटेड 21 अगस्त को हुआ था। उनके पैर के पंजे के ऊपर की हड्डी में फैक्चर है। 3 सिंतबर का दिल्ली के जीटीबी हॉस्पिटल में ऑपरेशन हुआ है और इस समय भी दिल्ली में रहकर उपचारित है। शिक्षिका भदौरिया ने अपने एक्सीटेंड की विधिवत सूचना विभाग को दी है और अपनी छुट्टी का आवेदन संकुल प्राचार्य का दिया है और इसकी विधिवत पावती भी हमारे पास है और रही 4 माह के वेतन की बात यह तो असत्य खबर है। 

केस नं. 2 शासकीय प्राथमिक विद्यालय मकरारा
डीपीसी के निरीक्षण के बाद प्रकाशित खबर में लिखा गया है कि इस स्कूल की शिकायत की गई है, इसी स्कूल में पदस्थ शिक्षिका राजकुमारी वर्मा मकरारा गांव की ही रहने वाली है और उनकी शादी धौलागढ गांव में हुई है। वे प्रतिदिन स्कूल नहीं आती है और उनकी एक बार ग्रामीणों ने शिकायत की तो उन्होने ग्रामीणों की शिकायत पुलिस में कर दी, जिससे ग्रामीणो के 5-5 हजार रूपए लग गए। 

शिवपुरी समाचार डॉट कॉम ने मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि उक्त शिक्षिका ने कभी भी ग्रामीणों की पुलिस में किसी भी तरह की कोई भी शिकायत नही की है। ग्रामीणों ने यह भी नही बताया कि कैसी शिकायत पुलिस से शिक्षिका ने की है। शिकायत शिक्षिका के अनुपस्थित रहने की थी लेकिन निरिक्षण में डीपीसी को शिक्षिका स्कूल पर ही उपस्थित मिली। इसका सीधा-सीधा अर्थ है कि किसी ने शिक्षिका की झूठी शिकायत की है और पुलिस में शिकायत वाली बात तो सफेद झूठ है। खबर को सुर्ख बनाने के लिए जोड़ दी गई है। 

इस मामले में अपने राम का कहना है कि शिक्षा की उच्च गुणवत्ता के लिए निरिक्षण होना अति आवश्यक है लेकिन हर निरिक्षण का समाचार पत्रों में प्रकाशित होना आवश्यक नही है। डीपीसी शिरोमणि दुबे की हर निरिक्षण के बाद खबरों को कुछ इस तरह से छपवाते हैं जैसे वो कोई सर्जिकल स्ट्राइक करके लौट रहे हों। हर खबर शिक्षक समाज को बदनाम करती हुई समझ आती है। 

शिक्षा विभाग का अधिकारी अपने ही विभाग को बदनाम कर रहा है, ऐसा क्यों और बड़ा सवाल यह कि सुर्खियों में बने रहने के लिए झूठी खबरों का प्रकाशन क्यों। क्यों मीडिया से सच छुपाया जाता है। कहीं ये खबरें प्रायोजित तो नहीं। इसके पीछे कोई साजिश तो नहीं। सवाल और भी हैं। कुछ ऐसे जो दिल की गहराईयों तक चुभ जाएं, लेकिन मुद्दा बस इतना है कि अपने ही विभाग को बदनाम करने वाली फर्जी खबरों का प्रकाशन क्यों।