स्वयं व्यवस्थित होने से व्यवस्था भी स्वयं बन जाती है: मुनि श्री अजितसागर

शिवपुरी। तीर्थों पर आकर जब भगवान की भक्ति करने से उभय सुख की प्राप्ति होती है। तन का सुख तो मिलता ही है, मन की शांति भी मिलती है। भगवान के स्वरूप को देखकर आत्मिक स्वरूप का दर्शन होता है, और भावों की निर्मलता आती है, जो जीवन को पवित्र करती है। 

भावों से भरे हुए व्यक्ति को जीवन मे निराकुलता का अनुभव होता है। हम प्रभु के चरणों में माथा इसलिए झुकाते हैं, क्योंकि वह आचरण से पवित्र हैं। भगवान के दर पर मांगने से कुछ नही मिलता, परन्तु यहाँ भक्ति करने वाले को सबकुछ स्वयमेब ही मिल जाता है। वो लोग सौभाग्यशाली होते हैं, जो मंदिर की व्यवस्था बनाने में अपना समय और सहयोग देते हैं। 

परंतु याद रखना भगवान के समोशरण का अतिशय होता है, कि वहाँ व्यवस्था करनी नहीं पड़ती, वह तो स्वयमेव ही हो जाती हैं। बस स्वयं को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है। उक्त मंगल प्रवचन पूज्यमुनि श्री अजितसागर जी महाराज ने अतिशय क्षेत्र श्री सेसई में श्री सिद्धचक्र महामंडल विधान में दिये। 

उन्होंने आगे कहा कि सिद्धों की आराधना करते हुए आज अंतिम दिन के पडाब पर पहुंच गए हैं। आज यही कहेंगे कि आप अपने जीवन काल मे यदि कुछ न भी कर पाओ, तो कम से कम इन क्षेत्रों पर थोड़ा सा सहयोग जरूर करना चाहियें, वही आपको आत्मिक सुख शांति को देने वाला होगा। 

आपका थोडा सा त्याग यदि दूसरे के धर्म-ध्यान में कारण बनता है, तो समझना आपके बहुत बड़े पुण्य का उदय है। आत्म कल्याण के इच्छुक मोक्षमार्गी शांति मांगता है, परन्तु संसारी व्यक्ति मात्र संसार के सुख और धन-वैभव मांगते हैं। सुख-शांति संसार के साधनो में नहीं होती बल्कि आत्म-साधना और संयम में होती है। क्षेत्रों का विकास जोश और होश होता है। बुजुर्गों में होश है, युवाओं में जोश है। दोनों मिलकर ही क्षेत्र का विकास कर सकते हैं।

उल्लेखनीय है किसी को शिवपुरी के वचनलाल-देवेंद्रकुमार पत्तेवाले परिवार द्वारा शिवपुरी के इतिहास में प्रथम बार इतने भव्य रुप से किसी धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। जसमें आज 1024 अध्र्य चढ़ाकर भगवान की आराधना की गई। कल शनिवार को विश्व कल्याण की भावना से विश्व शांति महायज्ञ एवं विधान की पूर्ण आहुती होगी।

यात्री निवास का होगा निर्माण, शिलान्यास कार्यक्रम कल
अतिशय क्षेत्र सेसई पर नवीन यात्री निवास बनाया जा रहा है, जिसका डिजाइन भोपाल के आर्किटेक्ट श्री अनुज जैसवाल के द्वारा तैयार किया गया है। जिसमें 4 डीलक्स एवं 5 कॉमन कमरों का निर्माण किया जायेगा। इसके लिये नवीन कमरे बनवाने की घोषणा की गई, जिनमें  राजुल महिला मंडल- महावीर जिनालय, चंद्रकुमार वीरेंद्र कुमार पत्तेवाले, सांवलदास-राकेशकुमार वनस्थली होटल, डॉ. रत्नेश जैन, विमलकुमार पारसकुमार किलावनी वाले, प्रेमचंद राजेशकुमार प्रेम स्वीट्स, डॉ. एम. के. जैन-डॉ डी.के जैन गंजवाले अशोकनगर, सेठ वचनलाल-देवेंद्रकुमार पत्तेवाले, प्रदीपकुमार अभिषेककुमार सुधा हीलिंग  के द्वारा एक-एक कमरा बनाने की घोषणा की गई।