
इसलिए जरूरी है श्राद्ध
पितरों के उद्धार के लिए पितृ पक्ष मनाया जाता है। अंतिम संस्कार के बाद आत्मा पितृ लोक जाती है और अपने पितरों से मिलती है। पितृ लोक में जीवात्मा तब तक रहती है, जब तक कि उसको उचित गति नहीं मिल जाती। इस दौरान पितरों को मृत्यु लोक की संतानो से पिंड और पानी (तर्पण) मिलता है। इससे उनका भरण पोषण होता है। पितरों को पिंड और तर्पण देने का विधान दैनिक पूजा पाठ में भी है, लेकिन यह एक पखवाड़ा पितरों के लिए खास महत्व रखता है।
इस बार बनेंगे ये बड़े योग
इस बार श्राद्ध पक्ष 6 सितंबर से आरंभ होकर 20 सितंबर को समाप्त होंगे। 20 सितंबर को सर्व पितृमोक्ष अमावस्या रहेगी। इस दौरान कई शुभ योग बन रहे हैं। जिनमें 8 सितंबर को दोपहर 12:31 से अमृत सिद्घि योग, 11 सितंबर को सुबह 9:21 से रवि योग, 12 सितंबर को सुबह 6.16 से सर्वार्थ सिद्धि योग, 14 सितंबर को रात 2 बजे से सर्वार्थ सिद्धि योग जो 15 सितंबर तक रहेगा, 17 सितंबर को मंगल उदय होगा।
पितृपक्ष के दौरान क्या करें
पितृपक्ष के दौरान पूजा-पाठ और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। इन 16 दिनों में सात्विक जीवन जीना चाहिए। यानी किसी तरह के व्यसन और बुराइयों से दूर रहें। गाय, कुत्ते को अन्न खिलाने के अलावा मछलियों को दाना डालने और चीटियों को मिठाई डालने से भी पितृ खुश होते हैं।