शिक्षा विभाग का नया घोटाला : शिक्षा विभाग के सरदार के प्रायवेट आदेश पर संचालित है स्कूलों में होस्टल

शिवपुरी। वैसे तो भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका शिक्षा विभाग का सरदार अपने आप को पूरी तरह से पाक साफ साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। भ्रष्टाचार का गढ़ बने इस शिक्षा विभाग में जमकर धांधली सामने आ रही है। शिक्षा विभाग के सरदार की मिली शहर के गली-मोहल्लों में नियमों को दरकिनार कर स्कूल संचालकों द्वारा अवैध तरीके से हॉस्टल चलाए जा रहे हैं। जिनका नगर पालिका में रजिस्ट्रेशन तक नहीं है। जिला प्रशासन और पुलिस भी बेपरवाह है। जबकि पिछले कुछ दिनों में हॉस्टल में कई अप्रिय घटना हो चुकी है।

शहर के विभिन्न क्षेत्रों में अवैध हॉस्टल की बाढ़ आ गई है। शहर जैसे-जैसे शिक्षा का हब बनते जा रहा है, बाहर से आकर पढऩे वाले छात्र-छात्राओं की संख्या में भी बढ़ोतरी हो रही है। इसे देखते हुए स्कूल संचालक द्वारा अतिरिक्त कमाई के लिए सभी नियमों को खूंटी पर टांगते हुए हॉस्टल खोल लिए हैं। अधिकांश स्कूल संचालक हॉस्टल खोलने के मापदंडों को दरकिनार करते हुए अवैध तरीके से इनका संचालन कर रहे हैं। इसमें अवैध गर्ल्स हॉस्टल सुरक्षा के लिहाज से अधिक संवेदनशील है। 

इसके बाद भी इसे अवैध तरीके से संचालित किए जा रहे हैं। हॉस्टल संचालित करने के लिए जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई हॉस्टल खोलता है तो सबसे पहले उसे नगर पालिका में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साथ ही संबंधित थाने में लिखित सूचना देनी होगी और रहने वालों की संख्या बताते हुए उनकी सुरक्षा का स्तरीय इंतजाम होने का ब्योरा देना होगा, पर ऐसा नहीं हो रहा है। इसके बाद भी नगरपालिका में पंजीयन तक नहीं कराया जा रहा है। वहीं संबंधित थाने में भी इसकी सूचना नहीं दी जा रही है। 

ऐसे में अगर कोई अप्रिय वारदात होने पर पुलिस मामले की जांच तो करती है पर उनका कहना होता है कि उन्हें हॉस्टल संचालित होने की जानकारी ही नहीं थी। सुरक्षा व्यवस्था कमजोर होने के कारण ही इस तरह की घटना होती है। समय-समय पर इस तरह के मामले पुलिस के पास आते हैं। इसके बाद भी अवैध हॉस्टल पर जिला प्रशासन व पुलिस लगाम कसने की कोशिश तक नहीं करती है।

मिलती है पूरी छूट
हॉस्टल के नियमानुसार रात के एक निश्चित समय पर सभी लडक़ों को हॉस्टल पहुंचना होता है। इसके बाद उन्हें बाहर जाने की मनाही होती है, लेकिन आधे से ज्यादा हॉस्टलों में इस नियम को नहीं माना जा रहा है। यहां रहने वाले देर रात तक घूमने-फिरने के बाद आराम से हॉस्टल पहुंचते हैं। उनसे पूछताछ करने वाला कोई नहीं रहता। स्कूल संचालक को बस अपनी फीस से मतलब रहता है। इस बात की जानकारी पुलिस व प्रशासन को नहीं होने से ऐसे मामलों की जांच भी नहीं हो पाती।

सुरक्षा के नाम पर सिर्फ एक चौकीदार
हॉस्टल की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ एक चौकीदार पर होती है। जो लडक़ों या लड़कियों से मिलने आने वालों की जानकारी रखता है। इसके अलावा सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं होते है। कई हॉस्टल में लडक़ों व चौकीदार के बीच हाथापाई होने का मामला भी सामने आये हैं, लेकिन हॉस्टल संचालकों द्वारा मामलों रफादफा करा दिया जाता है। इनमें न तो आग से बचाव के कोई संसाधन हैं और न ही किसी आकस्मिक खतरे से भागने के कोई उपाय हैं। अगर यहां पर किसी भी प्रकार की विपदा आती है तो इनका सामना बच्चों को ही करना पड़ेगा।

एक ही कमरे में क्षमता से अधिक बच्चे
स्कूल संचालकों द्वारा हॉस्टल खोल लिए जाते हैं, लेकिन अधिकांश हॉस्टलों में   बच्चों को सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं दिया जाता है। एक ही कमरे में क्षमता से अधिक बच्चों को रखा जाता है, अगर इस तरह बच्चे रहेंगे तो उनकी पढ़ाई में व्यवधान आना स्वाभाविक है क्योंकि पढ़ाई के लिए शांतिपूर्ण माहौल का होना अति आवश्यक है।

नहीं मिलता गुणवत्तायुक्त भोजन
इन हॉस्टलों में रहने वाले बच्चों की मानें तो उन्हें हॉस्टलों में पौष्टिक खाना नहीं दिया जाता है। जबकि  बच्चों के प्रवेश के समय इन हॉस्टल संचालकों द्वारा अभिभावकों से मोटी-मोटी फीस वसूली जाती है और इनके बच्चों को पौष्टिक आहार दिए जाने की बात कही जाती है, लेकिन जब बच्चे हॉस्टल में रहने लगते हैं जब हकीकत सामने आती है इसके बाद अभिभावक  कुछ भी नहीं कर पाते।

खेलने-कूदने के नहीं कोई उचित प्रबंध
स्कूल संचालकों द्वारा अपने निजी स्वार्थ के लिए हॉस्टल तो खोल लिए गए हैं, लेकिन हॉस्टलों में रहने वाले बच्चों के लिए इनमें न तो खेल का मैदान है और ही साफ-सुथरा वातावरण। जबकि माना जाता है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए खेल का होना बहुत जरूरी है और अच्छे स्वास्थ्य से ही बच्चों की पढ़ाई में रुचि उत्पन्न होती है।

क्या है नियम
हॉस्टल संचालित करने के लिए जिला खाद्य अधिकारी से एनओसी लेनी होती है। इसके बाद हर माह जिला खाद्य अधिकारी द्वारा खाने की गुणवत्ता, किचिन की जांच करनी होती है। नगरपालिका से भवन की एनओसी लेनी होती है। जिस भवन में हॉस्टल संचालित होना है वह हवादार हो, कमरे साफ एवं स्वच्छ हैं, कमरों का साइज बड़ा है, लेटरिन बाथरूम की पूर्ण व्यवस्था है, पानी, बिजली एवं जनरेटर आदि की सुविधा हो इसके बाद भी नगरपालिका द्वारा परमिशन दी जाती है। संबंधित थाने में हॉस्टल की सभी जानकारी दिया जाने का नियम है। यदि हॉस्टल इन नियमों के खिलाफ में चल रहे है तो उस पर कार्रवाई करने का प्रावधान है।