
यह तय है कि कांग्रेस में इस समय 2018 के होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद के दो दावेदार कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया मैदान में हैं। आज से लगभग 4 माह पहले पार्टी आलाकमान ने यह तय कर लिया था कि कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़े जाएंगे। सूत्र बताते हैं कि पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक तरह से कमलनाथ के नाम पर मोहर लगा दी थी और एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल ने कमलनाथ के नाम की घोषणा भी कर दी थी और कहा था कि 3 दिन के अंदर उनके नाम का ऐलान हो जाएगा।
कमलनाथ के पक्ष में सबसे प्रबल कारण यह था कि चुनाव की फंडिंग की व्यवस्था करने को वह तैयार थे। लेकिन पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी कमलनाथ की उम्मीदवारी के पक्ष में नहीं थे। इस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया और राहुल गांधी के बीच पार्टी में अच्छा समन्वय बना हुआ है और सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी की सोच है कि सिंधिया के नेतृत्व में ही पार्टी प्रदेश में वापस सत्ता में आ सकती है। इस कारण राहुल गांधी ने बीटो पावर का उपयोग कर कमलनाथ की नियुक्ति को रूकवा दिया था।
इसके बाद भोपाल में ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में जो सत्याग्रह हुआ था और उसमें आशातीत भीड़ उमड़ी थी उससे सिंधिया की उम्मीदवारी जोर पकड़ रही ैथी। सुरेश पचौरी जैसे नेता भी सिंधिया के पक्ष में आ गए थे और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी एक तरह से उनके नाम पर अपनी मूक सहमति दे दी थी। सूत्र बताते हैं कि संगठन चुनाव के दौरान श्री सिंधिया को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाना तय हो गया था और यह भी निश्चित कर लिया गया था कि विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व में कांग्रेस लड़ेगी।
ऐसे में मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के दूसरे उम्मीदवार कमलनाथ ने यह कहकर पार्टी में हडक़ंप मचा दिया है कि मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उनका कहना है कि मध्यप्रदेश और पंजाब की परिस्थिति अलग है। मध्यप्रदेश बड़ा राज्य है और यहां जीत तभी संभव है जब सब एकजुटता के साथ कांग्रेस की मजबूती के लिए काम करते हुए उसे जिताएं। इस बयान से कम से कम यह तो जाहिर हो गया है कि कमलनाथ पूरी तरह आश्वस्त हो चुके हैं कि मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में उनके नाम पर मोहर नहीं लगेगी और ऐसी स्थिति में उन्होंने सांसद सिंधिया का खेल बिगाडऩे की भी तैयारी कर ली है, लेकिन इससे श्री सिंधिया का नहीं बल्कि कांग्रेस का ही खेल बिगड़ेगा।