
जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर स्थित है ग्राम पंचायत मझेरा इस गांव में सर्वाधिक आबादी सहरिया आदिवासियों की है साथ ही गुर्जर समाज के लोग भी इस गांव में निवास करते हैं ,इस गांव के लोग खदान पर मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार की गुजर बसर करते हैं , कुछ परिवार खेती किसानी भी करते हैं।
विकास के नाम पर इस गांव में कुछ ख़ास नहीं हुआ है हाँ कागजी आंकड़ों में तस्वीर अलग होगी लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है , विकास या प्रगति जैसे शब्द अब तक आदिवसियों को कोई मायने नहीं रखते थे , और न ही इन लोगों को इसकी कोई कमी अखर रही थी।
दीन दुनिया से बेखबर आदिवासी सुबह से शांम तक नशे में टल्ली रहते थे और शराब ही उनकी पहली और आखिरी जरूरत नजऱ आती थी। न बच्चों की फि़क्र न गृहस्थी की चिंता केवल और केवल दारू , ताश और जुआ। जो कमाया इसी में स्वाहा हो जाता था। गांव के 97 प्रतिशत आदिवासी इसी कुचक्र में फंसे थे हाँ 3 प्रतिशत युवाओं को ये सब काफी नागवार गुजरता था उनके मन में इस दल -दल से समाज को बाहर निकालकर बदलाब के लिए कसमसाहट थी।
विगत माह गांव के इक दर्जन युवाओं ने सहरिया क्रांति कोटा के आदिवासी नौजवानों से संपर्क किया और अपने गांव को भी पटरी पर लाने के लिए सहरिया क्रांति की युवा सेना से जुड़ गए। सहरिया क्रांति की बैठक रात्रि को मझेरा गांव में हुई और सभी ने चौपाल लगाने का निश्चय किया। गत दिवस मझेरा गांव में सहरिया क्रांति की चौपाल का आयोजन किया गया जिसमे गांव के पूरे सहरिया आदिवासी उपस्थित हुए जहां उन्होंने अपनी सामजिक स्थिति का आंकलन किया।
बिन्दुवार समीक्षा में सहरिया क्रांति के आदिवासी मुखियाओं ने पूरे गांव को बहुत पिछड़ा पाया और गांव के पिछड़ेपन के लिए शराब और अज्ञान को जिम्मेदार बताया इसी बीच गांव की महिला कल्लो बाई ने गांव से शराब खत्म करने की बात कही जैसे ही उन्होंने शराब बंद करने का प्रस्ताव रखा सभी महिलाएं उठ खड़ी हुईं और एक स्वर से शराब का विरोध शुरू कर दिया फिर क्या था सभी पुरुष भी उनके साथ खड़े हो गये ,सभी ने शराब छोडऩे का संकल्प ले लिया।
शराब छोडऩे के संकल्प के साथ ही पूरे गांव में सहरिया क्रांति जिंदाबाद के गगन भेदी नारे गूँज गए। चौपाल में निर्णय लिया गया की आज से मझेरा गांव में कोई भी आदिवासी पुरुष या महिला शराब का सेवन नहीं करेगा यदि कोई शराब पिए दिख भी गया तो उसपर 501 रूपये का जुर्माना समाज बसूलेगा , साथ ही पूरे जिले में कहीं भी ताल मझेरा का कोई आदिवासी शराब के नशे में किसी ने भी देखा और तो उस व्यक्ति या गांव को 5000 रूपये का नकद इनाम मझेरा गांव के सहरिया क्रांति के मुखिया देंगे। सभी आदिवासी युवा मीटिंग के बाद सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन के साथ पुलिस अधीक्षक सुनील पांडेय के पास गए और उन्हें सहरिया चौपाल में हुए निर्णय से अवगत कराया।
आदिवासियों का ये अनुपम फैसले सुनकर पुलिस कप्तान गद -गद हो गए और उन्होंने बुराई छोड़ चुके सभी युवाओं को हर सम्भब मदद का आश्वाशन दिया साथ ही अपने चैंबर में आदिवासियों के साथ फोटो भी क्लिक कराया।