
चर्चा है कि नाला सफाई में पहले से स्वीकृत दरों पर पोकलेन मशीन, जेसीबी, डंपर, ट्रेक्टर ट्रॉली आदि का भुगतान किए जाने की तैयारी चल रही है। इसे भांपकर कांग्रेस पार्षद आकाश शर्मा ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी है, लेकिन एक माह गुजर जाने के बाद भी उन्हें जानकारी नहीं दी गई है। भ्रष्टाचार की सुगबुगाहट को देखते हुए बताया जाता है कि जिला प्रशासन ने नाला सफाई को अभी प्रशासकीय स्वीकृति नहीं दी है। भुगतान न होने से पोकलेन मशीन, जेसीबी और डंपर वाले नगरपालिका के चक्कर लगा रहे हैं।
यह सत्य है कि इस बार नाला सफाई विगत वर्षों की तुलना में ठीक ढंग से हुई है। लेकिन यह भी सत्य है कि नाला सफाई में नियमों और कानूनों का पालन नहीं किया गया। नाला सफाई में प्रतिदिन की दर से पोकलेन मशीन, जेसीबी, डंपर और ट्रेक्टर ट्रॉली किराए पर ली गई हैं। कायदे से इन मशीनों को टेंडर प्रक्रिया के तहत किराए पर लिया जाना था, लेकिन बताया जाता है कि टंचिग ग्रांउड के लिए जो पुरानी दरें स्वीकृत हैं उसी दर पर मशीनों को किराए पर लगाया गया है।
बताया जाता है कि 2 जनवरी 2017 को अनुभव कंस्ट्रक्शन के नाम से पोकलेन मशीन 14 हजार 900 रूपए, जेसीबी 9 हजार 700 और डंपर की दर 6 हजार रूपए प्रतिदिन स्वीकृत है। इन्हीं दरों पर भुगतान किए जाने के लिए पूरा तानाबाना बुना गया है। जबकि नियमानुसार कोई भी काम शत प्रतिशत रूप से पुरानी स्वीकृत दरों पर नहीं कराया जा सकता है। पुरानी दरों पर भुगतान की तैयारी जब की जा रही थी उसी समय नपा के भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोले पार्षद आकाश शर्मा ने सूचना के अधिकार के तहत जब नाला सफाई की जानकारी मांगी तो नपा प्रशासन के होश उड़ गए।
सूत्र बताते हैं कि नगरपालिका ने लगभग 23 लाख रूपए का नाला सफाई का काम कराया है। जबकि भुगतान 52 लाख रूपए निकाले जाने की तैयारियां चल रही थी। श्री शर्मा ने सीएमओ से पूछा कि नाला सफाई में मशीनों की प्रतिदिन और प्रति घंटे की दर क्या है तथा कितना डीजल नाला सफाई में व्यय किया गया। उनकी सक्रियता के बाद बताया जाता है कि नाला सफाई की फाइल नगरपालिका से गायब कर दी गई है। वहीं सूचना के अधिकार के तहत पार्षद आकाश शर्मा को अभी तक जानकारी नहीं दी गई है।
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