
कांग्रेस के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह लड़ाई ठीक ऐसी है मानो पानी में रहकर मगर से बैर मोल लिया हो। इसलिए या तो दोशियान नगरपालिका के निशाने पर होगी अथवा कोर्ट में जाने के पहले ही इस मामले में राजीनामा हो जाएगा। सूत्र बताते हैं कि मध्यस्थता के लिए प्रयास भी शुरू हो गए हैं।
सिंध जलावर्धन योजना की एजेंसी दोशियान के लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि नगरपालिका और राज्य शासन के बीच वह किस तरह से समन्वय बनाए। क्योंकि नगरपालिका जहां कांग्रेस की हैं वहीं प्रदेश में भाजपा सत्तासीन है। नगरपालिका अध्यक्ष कांग्रेसी मुन्नालाल कुशवाह हैं वहीं स्थानीय विधायक और प्रदेश सरकार की मंत्री भाजपा की यशोधरा राजे सिंधिया हैं।

परंतु 5 जुलाई को जब नगरपालिका पदाधिकारी लगभग समूची जिला कांग्रेस को लेकर मड़ीखेड़ा पहुंचे तो परिस्थिति ऐसी बनी कि महाप्रबंधक मिश्रा को उनके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करानी पड़ी। हांलाकि कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सत्ता के इशारे पर यह कायमी हुई है। अब देखना यह है कि यह विवाद और आगे बढ़ता है अथवा दोनों पक्षों के बीच कोर्ट जाने के पहले ही राजीनामा हो जाएगा।