
इस मामले में एसपी सुनील पाडें ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पीडि़ता से पूछताछ की तो बताया गया कि पीडि़ता ने कहा कि मेरे पिता वाईसराम आदिवासी और सौतेली मां भभूति बाई ने मिलकर मुझे वृंदावन आदिवासी निवासी देवरी थाना चिलवानी जिला श्योपुर के साथ मेरा विवाह कर दिया।
विवाह में मुझे पता चला की जिस लडके के साथ शादी हो रही है वह तो अपंग है परंतु मेरी मां बाप की लाज हेतु मैं ससुराल चली गई और मुझे वहां जाकर पता चला की मेरी शादी के एवज में मेरी सौतेली मां ने वृंदावन के पिता प्रकाश आदिवासी से 50000 रुपए लिए है और वृंदावन ने शराब पीकर मेरी कई बार मारपीट की और मुझसे कहता है कि तुझे पैसों से खरीदा है।
इसलिए मेरी नौकरानी बनकर यहां रहना पड़ेगा और तुझे मायके भी नहीं जाने दूंगा इस गम में मैंने कई दिन खाना नहीं खाया जिस कारण मैं बीमार हो गई तो मुझे मेरे ससुराल वाले इलाज हेतु विजयपुर लेकर आए जब मुझे अकेला समय मिला तो मैं बस के द्वारा अपने गांव श्रीपुरा आ गई यहा कुछ दिन रहने पर मेरा ससुर प्रकाश आदिवासी वह मेरा दिव्यांग पति वृंदावन आदिवासी मुझे लेने आए ।
मैंने जब इनके साथ ससुराल जाने से मना कर दिया तो मेरी सौतेली मां और पिता ने मेरी मारपीट की और मुझे जबरदस्ती ससुराल भेज रहे थे तो मैं भागते हुए सरपंच बनवारी यादव के घर तरफ गई और उनको मैंने पूरी घटना बताई तो उन्होंने मुझे थाने पर रिपोर्ट करने की सलाह दी और मैंने थाने में जाकर अपनी कहानी पुलिस को बताई।
पुलिस ने लडकी के परिजनो से कहा कि उसकी मर्जी के बिना वह किसी के साथ नही जाऐगी,और न ही उसके साथ कोई मारपीट कर सकता है। बताया गया है कि लडकी का पति और ससुर लडकी के पिता से अपने पैसे वापस मांगने लगा,तो पिता ने कहा कि में एक-दो दिन बाद कैसे भी लडकी को समझाकर वापस भेज दूंगा।
इसके बाद मेरे माता-पिता किसी के कहने पर मेरे बलात्कार की शिकायत करने शिवुपरी आ गए। मेरे साथ कोई बलात्कार नही किया गया है।