राजनैतिक दल के लिए नकद चंदे की सीमा 2 हजार रुपए तय हो गई है। संगठनों का दावा है कि पहले से कैश में सीमित रकम ही ली जाती है। बड़ी राशि चेक के जरिए ही लेते हैं। चंदा लेने में भारतीय जनता पार्टी सबसे ज्यादा रईस संगठन है, जबकि कांग्रेस को फिलहाल 250 रुपए के चंदा जुटाने में मुश्किल हो रही है। भाजपा आजीवन सदस्यता निधि के नाम पर 1 से 10 हजार रुपए तक चंदा लेने की तैयारी कर रही है।नकद में सिर्फ एक हजार ही
भाजपा के आजीवन सदस्यता सह प्रभारी और एमआईसी सदस्य कमलेश अग्रवाल ने कहा कि भाजपा की आजीवन सदस्यता का कार्य फरवरी में पहले हफ्ते से प्रारंभ होगा। नकद लेनदेन में संगठन सिर्फ एक हजार रुपए का चंदा ही स्वीकार्य करेगा। जनप्रतिनिधियों से 5 और 10 हजार रुपए आजीवन सदस्यता निधि ली जाएगी, जो चेक के जरिए होगा। इसलिए चंदा प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी होगी।
भाजपा दफ्तर के लिए ज्यादा चंदा
भाजपा की सरकार है। शायद इसलिए चंदा देने वालों की कमी नहीं है। पिछले साल 47 लाख रुपए जबलपुर से चंदा सदस्यता निधि के रूप में जमा हुए थे। इस साल चंदा 10 फीसदी बढ़ाकर जमा करना है। इसकी एक वजह चंदे की राशि का उपयोग पार्टी दफ्तर निर्माण में भी करना है। पिछले सात साल से संगठन चंदे की राशि इसी के लिए जमा करता आ रहा है।
300 पदाधिकारी आधे भी नहीं दे रहे चंदा
कांग्रेस के भीतर चंदे को लेकर काफी मुश्किल है। संगठन कार्यकर्ताओं से सालाना 250 रुपए ही चंदा लेता है। बाकायदा रसीद देकर जमा राशि प्रदेश कार्यालय जाती है। जबलपुर में 300 कांग्रेस पदाधिकारी हैं। पार्टी को अभी 250 रुपए भी सभी सदस्यों से नहीं मिले हैं। संगठन लगातार पदाधिकारियों को मैसेज, पत्र दे रहा है, लेकिन चंदा देने में कार्यकर्ता नानुकर कर रहे हैं। नगर अध्यक्ष दिनेश यादव ने भी माना कि कई कार्यकर्ता चंदा नहीं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि कांग्रेस में चंदे को लेकर पहले से पारदर्शिता बरती जा रही है। इस बार तो कई पदाधिकारियों ने चंदा ही नहीं दिया है। उन्हें नोटिस दिया जा रहा है। इसकी सूचना प्रदेश कार्यालय के पास भी भेजी जाएगी।