फोरेस्ट का अदभुत कारनामा: पीओआर काटने के बाद ट्रेक्टर गोल

इमरान अली/विकास कुशवाह/कोलारस। वन विभाग के कारनामों से तो सभी वाकिफ है। वन विभाग के कारनामो पर जितना अंदर जाया जाएगा उतना ही इस विभाग की कलह खूलती नजर आएगी। वन विभाग अपने उत्कृष्ठ कार्यो से नही बल्कि अपने अनूचित कार्यो से लगातार सुर्खियो में नजर आता है। या यूं कहे की यह इस विभाग के कुछ खाकी के पीछे से काले कारनामे करने वाले अफसरो की वजह से वन विभाग बदनाम है। जिसके कारण लगातार चर्चाओ में बना रहता है। मामला चाहे किसानो के साथ ठगी करने का हो या अवैध उत्खनन का वन विभाग के दायरे में आने वाले हर कार्यो के लिए वन अफसरो को सुविधा षुल्क गुंडा टैक्स बखूबी बसूलना आता है। 

अवैध उत्खनन पर अगर बात की जाए तो बजरी, रेत, पत्थर, मूरम कुछ भी हो वन विभाग के अफसरो की भागीदारी पहले मिलेगी। और आज ऐसे ही वनो के रखवालो की वजह से अवैध उत्खनन को क्षेत्र में बढावा मिल रहा है। लेकिन पहले तो यह वन ठेकेदार जनता की नजरो को धोखा देते थे अब तो बड़े अधिकारिया की आंखो में धूल झोंकने का काम वन विभाग के सरकारी ठेकेदारो द्वारा किया जा रहा है। 

मामला कुछ यूं है। की तीन दिन पहले वन चैकी खरैह वन प्रतिक्षेत्र चैकी अंतर्गत ग्राम ढकरौरा के पास से वन विभाग के उडऩदस्ते के साथ वीट प्रभारी ने उडऩदस्ता क्रमांक एमपी 02 एभी 5307 द्वारा पत्थरो से भरा ट्रेक्टर पकड़ा था जिसे वन विभाग के अधिकारियो ने पीओआर काटकर मामला संज्ञान में लिया लेकिन इस पूरे मामले में चैकाने वाला मामला सामने आया है। बताया जा रहा है। कि पीओआर काटने के बाद कार्यवाही प्रकिया नही होने तक ट्रेक्टर को वन चैकी या थाने में सुपुर्दगी में होना चाहिये लेकिन वन विभाग के ठेकेदारो ने मामले में मोी रकम लेकर कागजो में जब्त दर्शाकर टे्रक्टर को छोड़ दिया गया। 

इस पूरे मामले की जानकारी लगते ही हमारे प्रतिनिधी विकास कुषवाह इमरान अली मामले की पड़ताल करने जब वन चैकी खरैह पहुंचे तो वहां चौकी पर ताले लटके मिले जिसके बाद कोलारस वन विभाग कार्यलय में भी जानकारी लेनी चाही तो टे्रक्टर गायब मिला मामले की ज्यादा जानकारी के लिए ढकरौरा के जंगल में जब हमने जांच की तो तीन दिन पहले पकड़ा गया ट्रेक्अर फिर उसी क्षेत्र में पत्थरो को ढोता दिखाई दिया। अब मामला ये है। जिस ट्रेक्टर की पीओआर कट गई हो और वह षासन की कस्टडी में हो तो वह ट्रेक्टर कैसे बाहर उत्खनन कर सकता है। और आखिर बाहर आया तो कैसे आया। 

सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार मामले में मोटी रकम लेकर टै्रकटर को छोडा़ गया है। और अधिकररियो के सामने असत्य आंकड़ पैष कर आंखो में धूल झोंकने का कार्य लगातार किया जा रहा है। जब इस मामले में हमने जिले के कई अधिकारीयो से बात करनी चाही तो डीएफओ वन विभाग के नंबर पर कई बार फोन लगाने के बाद भी कॉल रिसीव नही हुआ। साथ ही वन विभाग के एसडीओ से बात करनी चाही तो कोई संतोश जनक जबाब नही दिया गया और बात को टालते नजर आए। इस पेरे माले में अधिकारीयो की अफसरषाही साफ जग जाहिर हो रही है। जो मामले की पर्देदारी कर रहे है। 

अपने राम का तो यही कहना है अगर मामले की गंभीरता से निष्पक्ष जांच की जाए तो कई अफसरो की नौकरी में नजर आएगी अब देखना यह है। की अधिकारी किस मुस्तैदी से मामले को गंभीरता से लेते है।

इनका कहना है-
आपके द्वारा जो मामला संज्ञान में लाया गया है। उसपर कुछ कहने के लिए में अधिकृत नही हूं इस पर एसडीओ साहब ही कुछ कह पाऐंगे आप उनही से बात कीजिए जहां तक ट्रेक्टर को पकडने की बात है तो हां टे्रक्टर को पकडक़र उसकी पीओआर काटी गई है।
अनुराग तिवारी रेंजर कोलारस