मंदिरों के लिए आए 3.5 करोड़ रुपए, अफसरों ने खुर्दबुर्द कर दिए

शिवपुरी। शिवपुरी विधायक और प्रदेश की सबसे ताकतवर मंत्री शिवपुरी के विकास और सौंदर्यीकरण को लेकर लगातार प्रयास कर रही है लेकिन शिवपुरी में पदस्थ अफसर उनके प्रयास का कुठाराघात करने से नही चूक रहे है। अभी मंत्री सिंधिया के धर्मस्व विभाग से जारी साढे तीन करोड का बंदरवाट करने की खबर आ रही है। 

वैसे भ्रष्टाचार का नं. 1 अवार्ड शिवपुरी के नगर पालिका को मिलना चाहिए लेकिन अब इस रेस में आरईएस भी शामिल हो गया है। आरईएस (ग्रामीण लोक यांत्रिकी सेवा) विभाग में बिना टेंडर और विज्ञप्ति के चहेतों को करोड़ों रुपए के काम आवंटित करने का मामला सामने आया है। दरअसल धर्मस्व विभाग द्वारा शहर के प्राचीन मंदिरों के जीर्णोद्धार हेतु साढे तीन करोड़ रूपए की राशि स्वीकृत की गई थी। 

इसमें से एक करोड़ की राशि आरईएस को पहली किस्त के रूप में दी गई लेकिन अफसरों ने ऑनलाइन टेंडर की प्रक्रिया से बचने के लिए अपने चहेते ठेकेदारों को दो-दो लाख से कम राशि के वर्कऑर्डर जारी कर दिए। इस मामले में बताया जा रहा है कि भले ही शासन की शर्ते यह लागू नही की हो, परन्तु अफसरों के साथ साईलेंट पार्टनरशिप की शर्त को ठेकेदारो ने पूरा किया है। 

इस मामले में सबसे हास्यास्पद बात है कि अफसरों ने कहा है कि मामला मंदिरो का था और हम चाहते थे कि काम अच्छा हो इस कारण यह काम को टुकडों में बांटा गया है। अब अफसरों से यह पूछा जाए की आपके विभाग के करोड़ो रूपए के टेंडर वाले काम क्या गुणवत्ताहीन होते हैं।

फिर आपके विभाग सडकों और भवनो के निर्माण के करोड़ों रूपए की टेंडर लगवा रहा है। नियम ही बनबा दो कि अब आईएस में 2 लाख से ज्यादा का काम नही होगा। शायद इसी कारण पूर्व में पैकेज नं. 538,550 और 535 के 16 करोड के रूपए निरस्त कर दिए गए थे। बाद में फिर टेंंडर कराकर इन कामो को अपने पार्टनरो को बांट दिया गया था। 

खबर यह भी आ रही है कि विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में मुख्यमंत्री अधोसंरचना के तहत बनाई जा रही कई सडक़ों के कामों के भी टेंडर विज्ञप्ति प्रकाशन नहीं किए जा रहे हैं। इसमें सर्व शिक्षा अभियान के तहत बनने वाले कई स्कूल भवन भी शामिल हैं।

इन मंदिरो के जीर्णोद्धार के लिए मिले है करोड रूपए 
धर्मस्व विभाग द्वारा शहर सिद्धेश्वर मंदिर, गुरु गोरखनाथ मंदिर, नवग्रह मंदिर, खेड़ापति, मंदिर, बांकड़े मंदिर, कालीमाई मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। इसके लिए पहली किस्त में ही 1 करोड़ की राशि जारी की गई है लेकिन यह काम कौन कर रहा है और इसकी निर्माण एजेंसी कौन है, इनके निर्माण के संबंध में टेंडर प्रक्रिया कब अपनाई गई है इसका जवाब जिम्मेदारों के पास नहीं है।