
जिन्होंने अभी तक गर्म कपड़े नहीं निकाले थे उनके भी कपड़े बाहर आ गए हैं। रात से ही ओस और कोहरे से धुंध शुरू हुआ जो सुबह 10 बजे तक चला। कोहरा छटते ही सूर्र्य की किरणें जैसे ही प्रथ्वी पर पड़ी वैसे ही लोग घरों से निकल कर धूप सेकने के लिए छतों पर पहुंच गए।