पिछले 4 साल से लग रहे थे रिश्वत लेने के आरोप इस रिश्वतखोर अधिकारी पर

शिवपुरी। कल गुरूवार को जिला प्रशासन के खाते में एक और रिश्वत का कंलक जुड गया है। अधिकारी स्तर पर यह पूर्व में तात्कालिन एडीएम जेडयू शेख 10 हजार की रिश्वत लेते गिर तार हुए थे। और कल जिला एमडीएम प्रभारी किनल त्रिपाठी भारत की नई और पुरानी करेंसी लेते रगें हाथो धरी हो गई। रिश्वत खोर कीनल त्रिपाठी का शिवपुरी का 4 साल का इतिहास विवादित ही रहा है। 

जानकारी मिल रही है कि रिश्वत खोर कीनल त्रिपाठी को फुल फ्रेस एमडीएम प्रभारी बनाये जाने की सभी तैयारियां पूर्ण हो चुकी थीं और जब तक उनके हाथ आदेश आता उससे पूर्व ही लोकायुक्त पुलिस ग्वालियर की टीम उन्हें 20 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिर तार कर लिया। 

बताना मुनासिब होगा कि कीनल त्रिपाठी को शिवपुरी में पदस्थ हुए चार वर्ष का समय हो चुका है और इस समूचे कार्यकाल के दौरान न सिर्फ वह सुर्खियों में रहीं, बल्कि विवादों से भी उनका गहरा नाता रहा। 

उज्जैन में भी हो चुकी है कार्यवाही
बीते चार वर्ष से शिवपुरी में बतौर टास्क मैनेजर कार्य कर रहीं कीनल त्रिपाठी इससे पूर्व उज्जैन में भी वे संविदा पर ही बतौर टास्क मैनेजर कार्य कर चुकी हैं। तत्समय उज्जैन की तत्कालीन कलेक्टर डॉ. एम गीता ने भी इनके खिलाफ कार्यवाही की थी जिसके चलते इन्हें वहां से हटा दिया गया था। नये सिरे से किस तरह वह एक बार फिर टास्क मैनेजर बनीं यह भी जांच का विषय है। 

पीएनबी मैनेजर से कमीशन को लेकर आई थीं चर्चा में
टास्क मैनेजर रहते हुए कीनल त्रिपाठी ने सभी स्वसहायता समुहों के खाते पंजाब नेशनल बैंक में खुलवाये थे उस समय बैंक के मैनेजर रहे तिरकी ने इन पर आरोप लगाया था कि वे उनसे खाते खुलवाने के नाम पर प्रतिमाह पांच हजार रुपये की मांग करती हैं ऐसा न करने पर यहां से खाते हटाने की भी धमकी देती हैं। 

कमीशन के चक्कर में शिक्षको से भी हुआ था विवाद 
पूर्व में शिक्षकों से भी इनका खासा विवाद रह चुका है। शिक्षकों की मानें तो वे उन पर कमीशन के लिए दबाव डालती थीं और कमीशन न देने पर कार्यवाही की धमकी देती थीं। 

इसी दौरान उन्होंने तत्कालीन सीईओ जिला पंचायत को एक रिपोर्ट पेश कर मध्यान्ह भोजन में लापरवाही के लिए चार बीआरसीसी और दर्जनभर से अधिक सीएसी को निलंबित करा दिया था जिसके चलते शिक्षकों और इनका खासा विवाद हुआ था जिस पर तत्कालीन कलेक्टर आरके जैन ने एक तीन सदस्यीय जांच टीम बनाकर मामले की जांच कराई थी जिसमें इन्हें दोषी पाया गया था।

इस रिश्वत खोर अधिकारी की दबा दी गर्ई फायल 
कलेक्टर आरके जैन द्वारा कीनल त्रिपाठी की जांच के लिए बनाये गये तीन सदस्यीय जांच दल में तत्कालीन अतिरिक्त मु य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत गोपाल अग्रवाल, डीपीसी शिरोमणी दुबे एवं जिला पंचायत के लेखापाल नीरज विजयवर्गीय को रखा गया था। 

इस जांच दल द्वारा 12 पृष्ठ की दी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि कीनल त्रिपाठी न सिर्फ भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, बल्कि दबाव बनाकर उगाही भी करती हैं। जांच दल द्वारा यह रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी गई थी, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि कलेक्टर द्वारा उक्त रिपोर्ट तत्समय ही मध्यान्ह भोजन भोपाल को भेजे जाने के डेढ़ वर्ष बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। 
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