सूचना के अधिकार को बनाया मजाक,आवेदक राज्य सूचना आयोग की शरण में

पोहरी। सूचना अधिकार अधिनियम 2005 को लागू तो कर दिया गया परंतु कई विभाग एवं विभाग प्रमुख इस अधिनियम को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं इसका ताजा उदाहरण पोहरी संकुल केन्द्र पर देखने को मिला जहां एक आवेदक द्वारा एक वर्ष पूर्व जानकारी हेतु आवेदन दिया गया था। जिसकी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई जिसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी को अपील की गई परंतु वहां से भी जानकारी नहीं प्रदान की तब आवेदक द्वारा राज्य सूचना आयोग में अपील की गई।

जानकारी के अनुसार पोहरी निवासी योगेन्द्र जैन द्वारा सितंबर 2015 में संकुल केन्द्र पोहरी को आवेदन देकर वर्ष 2013 से वर्ष 2015 तक अतिथि शिक्षकों के बारे में जानकारी मांगी गई थी। जानकारी में अतिथि शिक्षकों की सूची, विद्यालय में पदस्थ स्टॉफ की जानकारी, छात्रों की विद्यालय बार सं या एवं उपस्थिति की प्रमाणित छायाप्रति मांगी गई थी।

जिसे संकुल केन्द्र प्रभारी द्वारा समय सीमा बीत जाने के बाद भी आवेदक को उपलब्ध नहीं कराई गई, जिसके उपरांत जिला शिक्षा अधिकारी शिवपुरी परमजीत सिंह गिल को नबंबर 2015 में अपील प्रस्तुत की गई परंतु जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा भी जानकारी आवेदक को समयसीमा में जानकारी प्रदान नहीं की गई। 

जानकारी देने में असमर्थता जताते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के पत्र क्र.सूकाअ/2015/7214 में आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया । जिला शिक्षा अधिकारी के पत्र के बाद आवेदक योगेन्द्र जैन द्वारा राज्य सूचना आयोग में जनवरी 2016 को अपील प्रस्तुत की जिस पर आवेदन स्वीकार करते हुए राज्य सूचना आयोग ने पत्र क्र. ए 0049/16/आईसी-2/रासूआ/शिवुपरी/2016/2329 दिनांक 10 नबंबर 2016 को जारी कर आवेदक योगेन्द्र जैन को राज्य सूचना आयोग में 28 नबंबर 2016 को उपस्थित होकर अपने कथन दर्ज कराने की सूचना दी है। 

आवेदक योगेन्द्र का कहना है कि राज्य सूचना आयोग में जाकर अपनी बात रखेगें साथ ही सूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त करने हेतु केन्द्रीय सूचना तक भी जाना पडा तो भी जानकारी लेकर रहूंगा।