नगर पालिका मे लाईट घोटाला और पंप अटेंडरो की नियुक्तियों की जांच शुरू

शिवपुरी। भाजपा पार्र्षदों की प्रदेश सरकार की मंत्री और स्थानीय विधायक यशोधरा राजे सिंधिया के साथ हुई  बैठक में नगर पालिका के जिन कथित भ्रष्टाचारों का मामला जोरशोर से उठा था। उसे संज्ञान में लेते हुए कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव ने तीन बिन्दुओं पर जांच निर्र्धारित करते हुए एडीएम नीतू माथुर को जांच अधिकारी बनाया है। 

एडीएम माथुर पंप अटेंडरों की भर्र्ती और लार्ईट खरीदी में हुए कथित भ्रष्टाचार के साथ झांसी तिराहे पर दो बार एस्टीमेट बन जाने के बाद अभी तक नाला निर्र्माण न होने की भी जांच करेंगी। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार यशोधरा राजे सिंधिया ने अपने पिछले दौरे में सर्किट हाउस शिवपुरी में भाजपा पार्र्षदों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में कलेक्टर ओपी श्रीवास्तव, एसडीएम रूपेश उपाध्याय और सीएमओ रणवीर कुमार भी उपस्थित थे और उनकी उपस्थिति में भाजपा पार्षदों ने नगर पालिका प्रशासन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। यह आरोप लगे थे कि नगर पालिका द्वारा पंप अटेंडरों की भर्र्ती में जमकर भ्रष्टाचार किए गए हैं। 

नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह के कार्र्यकाल में 357 पंप अटेंडरों की नियुक्ति की गर्ई है। पार्र्षदों का कहना है कि इन 357 पंप अटेंडरों में से मात्र 70-80 पंप अटेंडर ही नगर पालिका को सेवायें दे रहे हैं, जबकि शेष पंप अटेंडरों में से कुछ बोगस है तो कुछ घर पर बैठकर वेतन ले रहे हैं तथा कुछ पंप अटेंडरों के वेतन का नपा प्रशासन के अधिकारी बंदर बांट कर रहे हैं। 

इसकी पुष्टि नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्र्मा ने बताया कि एक पंप अटेंडर के विषय में जब उन्होंने जानकारी ली तो पता चला कि वह केले के ट्रक  पर क्लीनरी कर रहा है। पार्र्षदों ने यह भी आरोप लगाया कि नगर पालिका द्वारा डेढ़ करोड़ कीमत की लार्ईट की खरीद की गर्ई है और एलर्ईडी लार्ईट 11 हजार रूपए से लेकर 19500 रूपए तक में क्रय की गर्ई है, लेकिन लार्ईट लगाए जाने के बाद अधिकांश लाईटें फुक गर्ई और गारंटी पीरियड में होने के बाद भी उक्त लार्ईटें ठेकेदार को वापस नहीं की गई। 

आरोप है कि इस खरीद में कम से कम 80 लाख रूपए का भ्रष्टाचार हुआ है। खराब लार्ईटें स्टोर की शोभा बढ़ा रहीं है। ऐसी स्थिति में नगर पालिका ने 1900 रूपए कीमत की स्ट्रीट लार्ईट खरीद कर किसी तरह नगर को रोशन किया है। बैठक में यह मामला भी उठा था कि झांसी तिराहे पर नाले का दो बार एस्टीमेट बनने के बाद भी निर्र्माण नहीं किया गया। नाले की निकासी को जानबूझकर रोक कर दूसरी ओर मोडा गया है। कलेक्टर ने इसकी भी जांच के आदेश दिए हैं। 

जांच से बढ़ सकती है नपाध्यक्ष और सीएमओ की मुसीबतें 
नगर पालिका के कथित भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच होने से नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह और सीएमओ रणवीर कुमार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं। पार्षदों की बैठक में सीएमओ के समक्ष नगर पालिका के भ्रष्टाचार के जमकर आरोप लगे थे। 

पंप अटेंडरों की भर्र्ती और लार्ईट खरीदी वर्र्तमान नपाध्यक्ष कुशवाह और सीएमओ रणवीर कुमार के कार्र्यकाल के हैं। इन्हीं के कार्र्यकाल में बैंचों की खरीद भी हुर्ई थी जिसमें 9 लाख रूपए की बैंचों की खरीद के टेंडर की राशि दुगने से अधिक बढ़ाकर साढे 19 लाख कर दी गई थी। सूत्र बताते हैं कि इस मामले में लोकायुक्त ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है।