
ऐसे समय में इसी शाखा के सदस्यों का गोवा ट्रिप पर जाना क्या दर्शाता है, क्या शाखा सदस्यों को ऐसे समय में इस तरह की ट्रिप की जगह शोकाकुल परिवार के बीच नहीं रहना चाहिए था। सोशल मीडिया पर सवाल किए जा रहे हैं कि शाखा सदस्य ऐसे समय जब अखिल की मौत को 13 दिन भी नहीं हुए इस तरह की ट्रिप पर जाना और वहां की मौज मस्ती के पिक्चर सोशल मीडिया पर साझा करना कौन सी मानसिकता को दर्शाता है।
वंही एक अन्य समाजसेवी संस्था रोटरी क्लब ने अखिल की मौत के चलते न सिर्फ अपना शपथ ग्रहण समारोह स्थगित किया बल्कि सेवा सप्ताह भी निरस्त कर दिया था। क्या इस संस्था में अपने साथी की मौत पर श्रद्धांजलि देने का यही तरीका है, जो भी हो पर सामाजिक नजरिये से यह उचित नहीं कहा जा सकता।
आखिर क्यो लिखना पडा ऐसा...
लाउन्स क्लब के सदस्य डॉ अखिल बसंल की अचानक हुई मौत के कारण उनका परिवार और उनके शुभचिंतक और उनको जानने वाले सभी अभी तक सन्न है और उनके साथ कंधा से कंधा मिलाकर समाज सेवा की शपथ लेने वाले उनकी चिता की राख भी ठंडी होने से पूर्व ही गोवा ट्रिप पर चले गए ये कैसी समाज सेवा हो सकती है समाज सेवियो का दिल तो बडा ही सैसंटिव होता है।
तरूण सत्ता ने लिखा है कि लाउन्स के पदाधिकारी की अचानक मौत 5 तारीख को हुई है लेकिन उनके क्लब के साथी लायन्स क्लब के अध्यक्ष संजय गौतम, सचिव गोपेन्द्र जैन, रामशरण अग्रवाल, अशोक रंगढ़, घनश्याम सर्राफ आदि सदस्य सपरिवार गोवा की यात्रा पर निकल गए। इस यात्रा की किसी को खबर भी नहीं होती, लेकिन आनंद और मस्ती के जोश में इनके फोटो ग्राफ फेसबुक और व्हाट्सएप पर जारी कर दिए गए।
कुल मिलाकर समाज इस घटना से समाज सेवियो को वह चेहरा नजर आया है कि यह घर के दुख में दुखी नही है तो फिर इनकी पूरी की पूरी समाज सेवा प्रयोजित होती है। या यूं कह लो, समाज सेवा के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है। केवल खबरो के शब्दो में ही समाज सेवा होती है भावनाओ से नही...
तरूण सत्ता ने लिखा है कि लाउन्स के पदाधिकारी की अचानक मौत 5 तारीख को हुई है लेकिन उनके क्लब के साथी लायन्स क्लब के अध्यक्ष संजय गौतम, सचिव गोपेन्द्र जैन, रामशरण अग्रवाल, अशोक रंगढ़, घनश्याम सर्राफ आदि सदस्य सपरिवार गोवा की यात्रा पर निकल गए। इस यात्रा की किसी को खबर भी नहीं होती, लेकिन आनंद और मस्ती के जोश में इनके फोटो ग्राफ फेसबुक और व्हाट्सएप पर जारी कर दिए गए।
कुल मिलाकर समाज इस घटना से समाज सेवियो को वह चेहरा नजर आया है कि यह घर के दुख में दुखी नही है तो फिर इनकी पूरी की पूरी समाज सेवा प्रयोजित होती है। या यूं कह लो, समाज सेवा के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है। केवल खबरो के शब्दो में ही समाज सेवा होती है भावनाओ से नही...