रेडिएंट कॉलेज में प्रोफेसर सिंधिया: स्टूडेंट्स को सिखाए लाइफ के फंडे

शिवपुरी। शहर के प्रतिष्ठित कॉलेजों में शुमार रेडिय़ट कॉलेज के ककरवाया केंपस में आज क्षेत्रीय सांसद और पूर्व मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने छात्र संवाद कार्यक्रम में छात्रों से रूबरू होते हुए छात्रों के तमाम सबालों के जबाव बड़े ही सरल तरीके से रखी। बात जब नौजवानों से हो, तो नौजवानों जैसा जोश और जज्बा आ ही जाता है। 

स्थानीय रेडिएंट कॉलेज में जब पूर्व केन्द्रीय मंत्री और क्षेत्रीय सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया नौजवानों से संवाद करने पहुंचे, तो वे भी कुछ पल के लिए नौजवान हो गए और उन्होंने विद्यार्थियों के सवालों का खुलकर जवाब दिया। न सिर्फ सवालों के जवाब दिए, बल्कि जाते-जाते उन्हें कई नसीहतें और जिंदगी के लिए प्रेरणा भी दे गए। 

एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के सचेतक सिंधिया ने कहा, देश में आज संसाधनों की कमी नहीं है। कमी है तो सोच की, नए आईये की। हमारे सामने ऐसी कई मिसालें मौजूद हैं, ऐसे लोग हैं जिन्होंने कम वक्त में देश के अंदर जबर्दस्त कामयाबी हासिल की है। नारायणमूर्ति, नंदन नीलकणि और उनके एक दीगर दोस्त ने साल 1985 में महज पचास हजार रूपए से ‘इंफोसिस’ कंपनी की स्थापना की और आज यह कंपनी तकरीबन बीस मिलियन डालर की हो गई है। 

इंफोसिस की कामयाबी के पीछे एक ही कारक है, उन्होंने जिंदगी में कभी शोर्टकट नहीं अपनाया। सफलता के लिए कोई शोर्टकट नहीं होता। यदि आपका लक्ष्य स्पष्ट है, तो कामयाबी मिलना निश्चित है। 

युवा संवाद की शुरूआत देवी सरस्वती की पूजा से हुई। इसके बाद रेडिएंट कॉलेज के संचालक शाहिद खान और खुशी खान ने अतिथि ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। युवा संवाद से पहले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए सिंधिया ने कहा, मेरा रेडिएंट कॉलेज के नए भवन के उद्घाटन के अवसर पर भी आना हुआ था, तब से लेकर अब तक रेडिएंट कॉलेज ने काफी तरक्की की है। 

यह तरक्की देखकर मैं काफी प्रभावित हूं। सिंधिया के संक्षिप्त उद्बोधन के बाद रेडिएंट ग्रुप के समन्वयक अखलाक खान ने युवा संवाद की शुरूआत की। इस अवसर पर कॉलेज के समस्त छात्र और स्टाफ के अलावा शहर के गणमान्य नागरिक और मीडियाकर्मी भी उपस्थित थे।   

जिंदगी हमारी बैंलेस शीट
एक दीगर सवाल के जवाब में विद्यार्थियों को मनोरंजक तरीके से नसीहत देते हुए उन्होंने कहा, जिंदगी हमारी बैंलेस शीट है। जिसमें हमारे काम का पूरा लेखा-जोखा होता है। जिस तरह बैलेंस शीट में एक तरफ जमा और एक तरफ खर्च लिखा होता है, ठीक उसी तरह हमने जिंदगी में क्या किया और क्या नहीं ? वह सब दर्ज होता रहता है। 

मैं हमेशा पहले एक-दो छोटे-छोटे लक्ष्य तय करता हूं, फिर उनको पूरा करने के लिए काम में जुट जाता हूं। गुना-शिवपुरी के लिए मेरा सपना है कि यह क्षेत्र शिक्षा का एक बड़ा हब बने। शिवपुरी में मेडिकल कॉलेज, एनटीपीसी कॉलेज, पॉलीटेक्नीक कॉलेज और गुना में एनआईएफडी कॉलेज इसी दिशा में प्रयास है। आप भले ही मुझसे कुछ नहीं मांगते, लेकिन मैं अपनी तरफ से क्षेत्र के विकास के लिए भरसक कोशिशें करता रहता हूं। 

जब एक छात्रा ने सिंधिया से उनकी हॉबियों के बारे में जानना चाहा, तो उनका जवाब था मेरी कई हॉबी हैं, लेकिन अब इन हॉबियों के लिए समय निकालना मुश्किल होता है। जब मैं कॉलेज में था या फिर जब नौकरी करता था, उस वक्त मैं अपने कई शौक पूरे कर पाता था। किताबें पढऩा, उसमें भी खास तौर से इतिहास की किताबें। क्रिकेट, तैराकी, वाइल्ड लाइफ यह सब मेरे कुछ शौक हैं। आप लोगों को भी मेरा एक सुझाव है, आप जिंदगी में भले ही कुछ भी करिए, लेकिन कुछ वक्त अपने आप को और परिवार के लिए भी निकालिए। 

मैं राजनीति में कभी नहीं आना चाहता था
सिंधिया के इस जवाब के बाद, एक छात्र ने जब उनसे पूछा कि आपको क्रिकेट पसंद था और क्रिकेट खेलते थे, तो फिर सियासत में कैसे आ गए ? इस सवाल का जवाब सिंधिया ने बड़े ही भावुकता से दिया। उनका कहना था, मैं राजनीति में कभी नहीं आना चाहता था। 

मैंने इंग्लैंड में अपनी पढ़ाई पूरी की और वहीं एक बैंक में नौकरी कर रहा था। अचानक पिता जी की मृत्यु हो गई। परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी कि मुझे राजनीति में आना पड़ा। इस चुनौती को भी मैंने स्वीकार किया और आज मुझे राजनीति में आए पन्द्रह साल हो गए। जनता ने मुझे जो भी जि मेदारी दी, मैंने उसे हमेशा ईमानदारी से पूरा करने की कोशिश की है। 

असहिष्णुता का माहौल देश के लिए कलंक 
दलित उत्पीडऩ से संबंधित एक सवाल के जवाब में सिंधिया ने कहा, लोकतंत्र में स्वतंत्रता और समानता बुनियादी सिद्धांत हैं। यदि किसी व्यक्ति के खिलाफ कोई द्वेष भावना के साथ गलत व्यवहार करे या समाज में असहिष्णुता का माहौल पैदा किया जाए, तो यह सब बातें देश के लिए कलंक हैं। जो लोग ऐसा करते हैं, हमें उनके साथ नहीं खड़ा होना चाहिए। बल्कि उनके साथ साहस के साथ मुकाबला करना चाहिए। यदि एक बार हम उनके खिलाफ खड़े हो गए, तो वह खुद-ब-खुद भाग जाएंगे। 

प्रदेश सरकार की नीतियों की वजह से क्षेत्र में विकास अटका
स्थानीय पानी की समस्या और स्वास्थ से जुड़े दो अलग-अलग सवालों पर सिंधिया का कहना था कि प्रदेश सरकार की नीतियों की वजह से क्षेत्र में विकास अटका पड़ा है। आठ साल से मड़ीखेड़ा जलावर्धन योजना अधर में है। यही हाल स्वास्थ के क्षेत्र में है।

मेरे प्रयासों से अस्पताल का आधुनिकीकरण हुआ। 190 से 350 बिस्तर का अस्पताल हो गया। लेकिन यह स्थिति कुछ ऐसी है कि शरीर तो है, लेकिन जान नहीं। अस्पताल में डॉक्टर और स्वास्थकर्मियों की बेहद कमी है। पूरे प्रदेश में स्वास्थ सेवाएं जर्जर हालत में हैं। प्रदेश में फिलवक्त 1800 डॉक्टरों की जरूरत है, लेकिन हमारे पास सिर्फ 1100 डॉक्टर हैं। यही स्थिति बाकी स्वास्थकर्मियों की है। 

शौर्य और बहादुरी भारतीय फौजी की पहचान
एक छात्र के सवाल के जवाब में सिंधिया ने कहा, शौर्य और बहादुरी भारतीय फौजी की पहचान है। देश के लिए एक फौजी जो बलिदान देता है, उसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। पाकिस्तान से जो आतंकवाद आ रहा है, हमारा एक-एक फौजी उसका डटकर मुकाबला कर रहा है। 

इन छात्रों ने किए सवाल 
प्रिया राठौर, आफरीन अली, सादिका खान, पारुल शर्मा, नेहा शर्मा, मोक्षा कोठारी, देवव्रत रावत, फैजान अली, जयदीप गुर्जर, हर्ष दीक्षित, अलीशा खान, प्रदीप सिंह चौहान, अंजलि झा, हिमानी सिकोरिया,कपिल उपाध्याय,पूनम शर्मा के अलावा कई छात्रों ने क्षेत्रीय सांसद से सवाल पूछे।