शिक्षिका ने किया 3 साल अनुपस्थित घोटाला: 10 हजार की रिश्वत ली सीईओ शर्मा ने

शिवपुरी। जिले के पोहरी अनुविभाग के एक स्कुल में एक अनुपस्थिती घोटाला सामने आया है। महिला शिक्षिका अपने स्कूल से 3 साल से गायब रही और अन्य किसी जगह नौकरी तलाशती रही और जब उसकी नौकरी नही लगी तो उसने सीईओ पोहरी को 10 हजार रू की रिश्वत देकर पुन: स्कूल ज्वाईन कर लिया। हालाकि सीईओ पोहरी ने इस रिश्वत को आधारहीन बताते हुए अपने काम को मानवीय की श्रेणी से नबाज रहे है। 

पोहरी विकासखंड के प्रोन्नत प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीपुरा की महिला संविदा शिक्षक वर्ग-3 पुष्पा पटेलिया 13 जुलाई 2013 से स्कूल से नदारद हो गईं और इसके बाद 3 साल तक उन्होंने स्कूल का रुख नहीं किया इस दौरान न तो समय समय पर कोई मेडिकल अवकाश स्वीकृत कराया गया और न ही विभाग के आला अधिकारियों को स्कूल से गैर हाजिर रहने को लेकर कोई सूचना दी गइ।

3 साल बाद 12 जुलाई 2016 को शिक्षिका पर सीईओ जनपद पंचायत पोहरी अशोक शर्मा ने मेहरबान होते हुए उन्हें स्कूल में ज्वाइन कराने का आदेश जारी कर दिया, जबकि ज्वाइनिंग आदेश से पहले पूरे मामले की जांच किया जाना था, वहीं सीईओ को भी इतनी लंबी अवधि में गैरहाजिर रहने वाली शिक्षिका को ज्वाइन कराने का अधिकार नहीं है।

पूरा मामला प्रकाश में आने के बाद अधिकारी अब एक दूसरे पर पल्ला झाड़ रहे हैं, वहीं इस मामले में नियम विरुद्घ 3 साल बाद ज्वाइन होने वाली शिक्षिका के पति ने मीडिया के समक्ष स्वीकारा है कि सीईओ को 10 हजार देकर ज्वाइनिंग हासिल की है। 

बताया जा रहा है कि 1 सप्ताह पहले डीपीसी शिरोमणि दुबे लक्ष्मीपुरा स्कूल का निरीक्षण करने पहुंचेए जहां शिक्षिका पुष्पा पटेलिया गैरहाजिर थीं और ग्रामीणों ने शिकायत की थी कि वे तो रक्षाबंधन के आसपास एक दिन के लिए आईं थी और उससे पहले कई वर्षों तक नहीं आई। 

ग्रामीणों ने ये भी बताया था कि शिक्षिका के पति गुना जिले में पदस्थ हैं और शिक्षिका वहीं रहती हैं इसके बाद यह बात सामने आई कि शिक्षिका 3 साल से गैरहाजिर रहने के बाद सीईओ के आदेश पर जुलाई में ज्वाइन हुई हैं जानकारी होने पर मामले में अफसर जांच कर रहे है। 

शिक्षिका से मीडिया के समक्ष जब विभागीय अधिकारियों ने इतनी लंबी अवधि तक गैर हाजिर रहने को लेकर जवाब तलब किया तो उसका जवाब भी बेहद चौंकाने वाला था शिक्षिका ने कहा कि वह 6 माह की मेटरनिटी लीव के बाद किसी अन्य नौकरी की तलाश में थी, लेकिन जब आदिवासी वर्ग की इस शिक्षिका को कोई नौकरी नहीं मिली तो वह साठगांठ कर पुन: ज्वाइन हो गई। 

इस मामले में पोहरी जनपद सीईओ अशोक शर्मा का कहना है कि 3 साल बाद शिक्षिका को ज्वाइन कराने की नोटशीट पोहरी बीईओ राजेश श्रीवास्तव ने भेजी थी और मानवीयता के नाते उसे ज्वाइन कराने की बात कही, जिस पर मैंने आदेश जारी किया हालांकि उन्होंने शिक्षिका के पति के उस आरोप को सिरे से खारिज कर दियाए जिसमें 10 हजार रुपए लेकर आदेश जारी करने का आरोप लगाया गया है।
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