नपा के बवाल में बुरे फसे मुन्ना भाई: इधर कुंआ तो उधर खाई

शिवपुरी। कलेक्टर राजीव दुबे ने नगर पालिका शिवपुरी की जिन 11 महिला पार्षदों को पद से प्रथक करने का नोटिस दिया है उनमें से अधिकांश पार्षदों ने अपना जवाब दे दिया है। जवाब में महिला पार्षदों ने अपने आपको वेकसूर बताते हुए कहा कि परिषद की बैठक के सभापति के निर्देश के बाद ही उनके परिजन मौजूद थे। 

वहीं वार्ड क्रमांक 1 की पार्षद श्रीमती भावना पाल ने अपने जवाब में कहा है कि उस दिन बैठक में उसके पति आए ही नहीं थे। इस मामले में नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह पशोपेश में है। कलेक्टर ने अपने नोटिस में इंगित किया था कि 14 जुलाई को परिषद की बैठक में नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह ने बैठक से बाहर जाने के लिए महिला पार्षदों के पतियों और परिजनों को निर्देश दिया था, लेकिन वे बैठक से बाहर नहीं गए।

परन्तु कल नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह नोटिस प्राप्त महिला पार्षदों की पैरवी करने जब कलेक्टर राजीव दुबे के पास गए तो कलेक्टर ने उनसे कहा कि वह अपना जवाब लिखित रूप में दें। अब यदि वह लिखते हैं कि महिला पार्षदों के परिजनों को बैठने की उन्होंने अनुमति दी तो वो संकट में आ जाएंगे। 

पूरे मामले में सबसे पहले नपा उपाध्यक्ष अन्नी शर्मा 11 महिला पार्षदों के बचाव में सामने आए। उनका कहना है कि यदि महिला पार्षदों को हटाया गया तो वे आंदोलन करेंगे। श्री शर्मा का तर्क है कि नपाध्यक्ष की अनुमति के बाद ही पार्षदों के परिजन बैठक में श्रोता के रूप में बैठे थे। नपा उपाध्यक्ष से मिलने जब महिला पार्षद गई तो अन्नी शर्मा ने उन्हें आश्वासन दिया कि इस संबंध में वह उनके साथ कलेक्टर से मिलेंगे और अपना पक्ष स्पष्ट करेंगे। 

नपा उपाध्यक्ष के इस रूख के बाद नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह भी पार्षदों की पैरवी में खड़े हो गए और वह महिला पार्षदों के साथ कलेक्टर से मिलने के लिए पहुंच गए लेकिन जब कलेक्टर राजीव दुबे ने उन्हें टका सा जवाब दिया और लिखित रूप में देने को कहा तो मुन्नालाल पशोपेश में पड़ गए। इसके बाद बताया जाता है कि नपाध्यक्ष मुन्नालाल के निवास स्थान पर तीन घंटे तक महिला पार्षद बैठी रहीं, ताकि वह यह लिखकर दें कि बैठक में पार्षदों के परिजनों को बैठने की उन्होंने इजाजत दी थी, लेकिन नपाध्यक्ष कुशवाह घर पर ही नहीं पहुंचे। 

महिला पार्षदों ने जवाब में कहा उनकी कोई गलती नहीं 
महिला पार्षदों ने अपने जवाब में कहा कि उनके परिजन अथवा पति बैठक में शामिल होने के लिए उन्हें छोडऩे नगर पालिका में आते हैं और वह श्रोता के रूप में परिषद की बैठक में बैठ जाते हैं। बैठक में वह हस्तक्षेप नहीं करते हैं। 14 जुलाई को उस दिन नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह की अनुमति के बाद ही उनके परिजन और पति बैठक में बैठे थे। इस परिप्रेक्ष्य में यह नहीं कहा जा सकता कि उनके स्थान पर उनके परिजन पार्षद पद के दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।