श्रीमंत साहब, अब क्या धैर्य का वर्ल्ड रिकार्ड बना दें

एक्सरे @ललित मुदगल/शिवपुरी। आज भाजपा पार्षदों के साथ भाजपा नगर मंडल के पदाधिकारियों की बैठक में स्थानीय  विधायक और प्रदेश की कद्दावर कैबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि किसी एक वार्ड की नही बल्कि शहर के सभी वार्डो के विकास की मेरी जिम्मेदारी है। बस मेरे साथ कदम से कदम मिलाकर चलिए। कुछ ऐसी खबर शिवपुरी से प्रकाशित एक सांध्य दैनिक ने छापी की है। 

इस खबर के इंट्रो पर सवाल खडे करना हमारी मजबूरी बन गई है। अभी शहर की हालात किसी नरक से कम नही है। शहर की सड़के सक्षात यमराज का रूप धारण कर चुकी है। और सड़को में बने गढडे किसी राहू केतु से कम नही है। दुनिया का सबसे विद्वान ज्योतिषी भी नहीं बता सकता है कि इन सड़कों पर आप कितनी देर तक सुरक्षित रह सकेंगे। 

अब कदम से कदम मिलाकर चलने की बात श्रीमंत से एक सवाल और उनके समर्थकों से भी। कब हमारी शिवपुरी आपके कदम के साथ नही चली। आपने एक ऐसी महिला को नपाध्यक्ष बनाने के लिए कहा जिसे उसका अपना मोहल्ला भी नहीं जानता था। 21वीं सदी में आपकी नपाध्यक्ष के पास एक अदद मोबाइल तक नहीं था और तो और आपने और आपके पुत्र ने उसे जिताने के लिए शहर की एक-एक रोड नाप दी और जनता ने आपके कहने पर उसे वोट दिए लेकिन नतीजा क्या निकला। छाप लगी 'भ्रष्टाचार की ब्रांड ऐबेंसडर' की। आपकी ही सरकार को उन्हे पद से पृथक करना पडा। अब वे मान्यता प्राप्त 'भ्रष्टाचार की ब्रांड ऐबेंसडर' है। 

अब बात करते है शिवपुरी के पूर्व विधायक माखन लाल की आपके कदम माखन लाल राठौर को जिताने निकले और जनता ने बड़े-बड़े दिग्गजो को पटकनी देते हुए आपके कदम ताल पर चलते हुए माखन लाल राठौर को विजय श्री दिलवाई नतीजा पूरे 5 साल तक शिवपुरी को एक भी उल्लेखनीय सौगात नही दे पाए। 

बस अपने परिवार के लिए आटा फैक्ट्री की सौगात जरूर ले आए। वह भी अतिक्रमण में थी उसको भी शिवपुरी प्रशासन ने हटा दिया। श्रीमंत साहेब आपने भी विधान सभा चुनावों में यह स्वीकार किया था कि मेरी एफडी को लोगो ने तोड दिया। वह शिवपुरी नही रही जिसे में छोड कर गई थी। 

आप फिर स्वयं चुनाव लडी आपको जनता ने सरमाथे पर बैठाया और आपको चुनाव भी जितवाया। आप प्रदेश में कैबीनेट मंत्री बनी, आप प्रदेश में ब्रांड नेता है। आपकी जनता को शहर में पानी लाने के लिए बीच चौराहे पर तंबू गाड कर बैठना पडा। आपने उसी मंच पर 6 माह का समय दिया था परन्तु आज तक हमारी टोटियों में सिंध का पानी नही आया। 

सड़कों का क्या हाल लिखें। लिखते हुए रूह कांप रही है। हमारे फैंफड़े धूल के गोदाम हो गए थे। बड़े जनता और हाईकोर्ट की कृपा के बाद श्रीमंत की विधान सभा में सड़कें सुधर रहीं थीं, पर अच्छे दिन आने वाले ही थे कि बरसात बैरन हो गई। अब सडके गढडे और दलदल में तब्दील हो गई है। 

कुल मिलाकर सवाल हमारा अभी खडा है कि जब से आपका शिवपुरी आना हुआ है। अम्मा महाराज की चुनावो से। आपके कदम पर ही शहर ताल कर रहा है। अब आपने फिर कह दिया धैर्य रखिए डेढ साल और इंतजार कीजिए शहर स्वर्ग बन जाऐगा। अब क्या आप इस शहर के नागरिकों से धैर्य का वर्ल्ड रिकार्ड बनवाना चाहतीं हैं। 
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