शिवपुरी। शिवपुरी जिले की पहचान बन चुका सफेद पत्थर जिसे व्हाईट गोल्ड कहा जाता है। इसके बाद जिले के पिछोर और करैरा में ब्लेक गोल्ड से देश में मशहुर ग्रेनाईट पत्थर की ाोज की जा चुकी है। बकायदा शासन ने पिछोर और करैरा में 22 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खनन को मंजूरी दी है। अगले 12 महीनों में इसका दायरा बढा कर करीब 350 बीघा 70 हेक्टेयर में इसका खनन किया जाएगा। जयपुर के एसबी गु्रप प्राइवेट लिमिटेड ने भी यहां खनन का काम शुरु कर दिया है।
शिवपुरी में निकलने वाला ग्रेनाइट पत्थर राजस्थान व दक्षिण भारत के बैंगलोर जैसी श्रेणी का हरा व काला होगा। शासन ने पहले चरण में 8 खदानों को मंजूरी दी है। इसमें दो खदानों को कलेक्टर आरके जैन ने स्वीकृत किया था। उसके बाद 6 खदानें कलेक्टर राजीव दुबे के प्रस्ताव पर शासन द्वारा स्वीकृत की गई हैं। पिछोर में दो तथा करैरा के पारागढ में 6 खदानों को स्वीकृति मिली है।
प्रदेश से बहार गए मजदूरों को मिलेंगा रोजगार
ये दुर्लभ ग्रेनाइट पत्थर है इसे हसन ग्रीन ग्रेनाइट पत्थर कहते हैं। बैंगलुरू को छोड कर हिंदुस्तान में इसकी कहीं कोई खदान नहीं है। अब शिवपुरी में इसकी खदान मिलने से यहां रोजगार से लेकर पत्थर कारोबारियों के लिए अब बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे। उन मजदूरों को भी रोजगार मिलेगा जो साउथ इंडिया चले गए।
जिमी सचदेवा, पत्थर कारोबारी
शासन के सोने के पिजंरे मेें कैद है शिवपुरी का व्हाईट गोल्ड
जिले में अब तक सेंड स्टोन की 5 खदानों को छोड कर सभी तरह के पत्थरों की निकासी पर बैन लगा है। शासन के द्वारा वर्ष 2012 और 2013 में इस क्षेत्र का सर्वे कराकर ग्रेनाइट की खदानों को खोजा गया है। ग्रेनाइट का उत्खनन शुरू होने के बाद क्षेत्र के हजारों युवाओं को रोजगार मिलेगा।
इस कारण कहा जाता है काला सोना
ग्रेनाईट पत्थर भारत में कई रंगो में पाया जाता है लेकिन ग्रेनाईट का मूल कलर काला होता है। यह आम पत्थरो से ज्यादा मजबूत,कडक और चमकदार होता है। इस पर पॉलिश कर इसे और चमकदार बनाया जाता है। यह भारत में निकलने वाला पहला पत्थर है जिसको काटने के लिए डायमंड के तारो का प्रयोग होता है। इसकी रेट आम पत्थरो से 10 गुना होने के कारण इसे काला सोना कहा जाता है।
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