सरपंच ने ठगी कर हड़पी कुटीर की राशी: आदिवासी दर-दर भटकने को मजबूर

कोलारस । विधानसभा क्षेत्र तो भष्ट्राचार का गढ़ बनता जा रहा है क्षेत्र में सरपंच सचिवों सहित कई जि मेदारो के कार्य पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है। सबसे ज्यादा सरपंच सचिव गरीबों के हक पर डाका डाल रहे है। आए दिन कोलारस में सरपंच सचिवों के भ्रष्ट्राचार के मामले सामने आ रहे है। अक्सर समाचारों की सुर्खियों में रहने वाले भ्रष्ट्राचारियों पर नकेल कसने में कोलारस सहित जिले के अधिकारी भी विफल दिख रहे है या युं कहें की इन्हें कुछ बड़े राजनेताओ सहित बड़े विभागीय अधिकारियो का संरक्षण प्राप्त है।

कोलारस विधानसभा क्षेत्र को भष्ट्राचार का गड़ घोषित कर दिया जाए तो काई अचंभित बात नहीं होगी। हर जगह सरपंच पतियों का दबदबा कायम है जिसके चलते सरपंच पति और उनके पंचायत में पदस्थ शासकीय कर्मचारी गरीब अनपड़ लोगो के भोलेपन का फायदा उठाकर उनकी रकम पर हाथ साफ करने में लगे है। भोले-भाले गरीब मजदूर और गरीब तबके के लोगों को भष्ट्राचारी मशीनरी एक योजना के तहत गरीबो को अपना निशाना बना रही है और प्रशासन मूक बना देख रहा है।

अभी कुछ दिन पूर्व में ही ग्राम पंचायत पाढ़ौदा में महिला रामा बाई से रोजगार सहायक धमेन्द्र ओझो द्वारा कुटीर के लिए मंजूर हुए 35000 की राशी ठगी करके निकालने का मामला थमा ही नही था की दूसरा मामला सामने आ गया मंगलवार जनसुनबाई के दौरान हलकईया पुत्र घ मू आदीवासी ग्राम गणेशखेड़ा ने बताया की मुझे वर्ष 2015 में शासन की योजना के तहत कुटीर मंजूर हुई थी। 

जिसकी किस्त मुझे आज तक नही मिली में लंबे इंतजार के बाद जब में जनपद पंचायत कोलारस कुटीर की जानकारी लेने पहुॅचा तो मालूम हुआ की मेरी किस्त तो पहले ही निकल गई। जब मुझे अपने साथ हुई ठगी का अहसास हुआ की मजदूरी के नाम पर 2015 में ही ग्राम पंचायत गणेशखेड़ा के सरपंच पति ने मजदूरी के पैसे दिलवाने के बहाने मेरे पैसे निकाल लिये। 

जब मैंने पूछा की किस बात के पैसे है यह कहकर सरपंच पति ने हलकईया आदिवासी से ठगी कर उसके लिए मंजूर हुई कुटीर के पैसे निकाल लिए। अब देखना ये है कि एक माह के अंदर कुटीर के नाम पे दो मामले ठगी के सामने है इन्हें प्रशासन कितनी गंभीरता से लेता है और गरीबों के हक पर डंाका डालने वाले शासकीय और अशासकीय लोगों पर कब प्रशासन की गाज गिरेगी। या हमेशा की तरह मामला जांच में लेकर दवा दिया जाएगा।
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