अभी तक नही मिली है बच्चो को गणवेश: राशि को खुर्द बुर्द करने का प्रयास

शिवपुरी। राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्देशानुसार प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में नामांकित छात्र एवं छात्राओं को दो जोड़ी गणवेश प्रदाय हेतु राशि आवंटित की गई थी लेकिन यह राशि प्राचार्यो के खाते में आने के बाद भी एक माह गुजर चुका हैं। इसके बाबजूद भी छात्र गणवेश के लिए तरस रहे हैं। 

जानकारी के अनुसार प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र एवं छात्राओं को जिले भर में नि:शुल्क गणवेश हेतु 400 के मान से वितरण किया जाता है। जिसकी राशि आयुक्त राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल से प्रत्येक बच्चे के मान्य से पालक शिक्षक संघ के कोष में जिले भर की राशि जमा करा दी गई।

लेकिन यहां पर गौर करना होगा कि करोड़ों रूपए की राशि बैंक खाते में जमा होने पर उस पर मिलने बाले व्याज को वरिष्ठ अधिकारी अपनी सुख सुविधाओं में कहीं व्यय तो नहीं कर देते। जांच की जाए तो इसकी सच्चाई खुद व खुद बयां कर देगी और बच्चों के पैसे से प्रधानाध्यापक स्थानीय अधिकारी की सांठ गांठ स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।

15 जुलाई तक होना था गणेवश का वितरण 
शिवुपरी जिले में सभी शासकीय विद्यालयों में राज्य शिक्ष केन्द्र आयुक्त दीप्ति गौड़ मुखर्जी ने अपने एक आदेश क्रमांक 4606 दिनांक 27 जून 2016 को जारी किया था जिसमें बताया था कि 15 जुलाई तक सभी शाकीय विद्यालयों में गणवेश छात्र एवं छात्राओं को वितरित कराई जिसके प्रमाण पत्र शालाओं को 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर वितरित किये जाएगे। 

बच्चों से शिक्षाकों द्वारा नहीं प्राप्त नहीं किए जा रहे व्हाउचर
विद्यालय में पदस्थ प्रधानाध्यापकों द्वारा बच्चों को गणवेश वितरण के नाम पर आई राशि को खुर्द बुर्द करने उद्देश्य से छात्रों के पालकों आनन फानन में चैक जारी कर उनकी उपयोगिता प्रमाण हेतु व्हाउचर प्राप्त नहीं किए जा रहे हैं और विद्यालय में दर्ज कुछ बच्चे जो विद्यालय नहीं आते हैं उनके नाम के पैसे स्वयं निकाल कर फर्जी व्हाउचर भर दिए जाते हैं और उनकी राशि निकालकर अपनी जेब में रखी जाती है।  इस बात की यदि बारीकी से जांच कराई जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी साफ हो जाएगा। 

विद्यालय में बच्चे 10 राशि 25 की जारी 
शिवपुरी। शिवुपरी जिले में यदि बारीकी से विद्यालयों का अधिकारी परीक्षण करें तो यह साफ तौर से सिद्ध हो जाएगा कि दर्जनों बच्चे ऐसे हैं। जो शिवपुरी में प्रायवेट विद्यालयों में अपनी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। वहीं उनके ही नाम स्थानीय ग्रामीण शालाओं में भी दर्ज हैं उनके नाम की ड्रेसों की राशि शिक्षक स्वयं मिलकर अपने परिवार जनों के बच्चों के नाम पर बनाकर स्वयं हड़पने में लगे हुए हैं। इससे शिक्षा का भारी भ्रष्टाचार उजागर होता हैं