
हालांकि इस मामले में सीएमओ ने अपना पक्षा रखा बाबजूद इसके न्यायालय ने अगली सुनवाई में कलेक्टर व सीएमओ को पुन: उपस्थित होने के निर्देश दिए है। मामले की अगली तारीख 21 जुलाई निर्धारित की है।
बताना होगा कि शहर के अभिभाषक पीयूष शर्मा विरूद्ध मप्र शासन एवं जिला प्रशासन के विरूद्ध जलावर्धन येाजना में लेटलतीफी और क्रियान्वयन ना होने को लेकर आपत्ति दर्ज कराई थी और मामले की शिकायत को लेकर याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल की।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने जलावर्धन पर चल रही सुनवाई के दौरान शिवपुरी के कलेक्टर एवं सीएमओ से पूछा है कि वो बताएं कि शिवपुरी शहर में इस समय जलापूर्ति कैसे की जा रही है। साथ ही हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई में सीएमओ को हाजिर होने के आदेश भी दिए हैं। यह आदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने दिया।
जस्टिस आलोक अराधे व जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच में गत दिवसशिवपुरी जलावर्धन योजना को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विवेक जैन ने तर्क रखा कि शिवपुरी में पानी की समस्या लगातार बनी हुई है। मड़ीखेड़ा से शिवपुरी तक पानी लाने से संबंधित जलावर्धन योजना का क्रियान्वयन भी नहीं हो पा रहा है। प्रकरण की अगली सुनवाई 21 जुलाई नियत की है।
द्ववेषपूर्ण भावना से प्रशासन ने दर्ज कराया मामला : एड.पीयूष शर्मा
अपने ऊपर दर्ज शासकीय कार्य में बाधा डालने के मामले पर एड.पीयूष शर्मा ने कहा कि यह जिला प्रशासन ने द्ववेषपूर्ण भावना से प्रेरित होकर ऐसा किया है क्योंकि मैंने जलावर्धन येाजना में लेटलतीफी को लेकर कलेक्टर एवं मप्र शासन को माननीय न्यायालय के कठघरे में खड़ा किया था।
जिससे क्षुब्ध होकर जब शहर में अतिक्रमण विरोधी मुहिम चल रही थी तो हम निष्पक्ष जांच करने की बात को लेकर जिला प्रशासन के समक्ष पहुंचे थे लेकिन हमारी बात नहीं सुनी गई और उल्टा शासकीय कार्य में बाधा डालने का मामला पंजीबद्ध करा दिया जो कि न्यायोचित नहीं है।
यही कारण हे कि प्रशासन ने द्ववेष रखते हुए मामला पंजीबद्ध कराकर अपनी हठधर्मिता का उदाहरण प्रस्तुत किया है। जबकि अतिक्रमण विरोधी मुहिम के दौरान आप पार्टी संयोजक पीयूष शर्मा जब मौके पर पहुंचे तो वहां प्रशासनिक अधिकारियों को देखने की दृष्टि से जेसीबी पर चढ़ गए और प्रशासन ने इसे अपने ढंग से गलत बताते हुए मामला पंजीबद्ध कराया।