शिवपुरी नपा में 160 लाख के टेण्डर में फर्जीवाड़ा, ईओडब्ल्यू को शिकायत

शिवपुरी। नगर पालिका शिवपुरी में जीआई एवं विद्युत उपकरण सप्लाई टेण्डर प्रक्रिया में गम्भीर अनियमितता, फर्जीवाड़ा किये जाने का मामला प्रकाश में आया है। इस मामले की शिकायत सीएमओ और कलेक्टर से लेकर ईओडब्लू तक कर दी गई है। यह मामला बुरी तरह गहराता दिखाई दे रहा है।

160 लाख की उक्त सप्लाई के टेण्डरों में एक फर्म ने खुद को साजिशन प्रतिस्पर्धा से बाहर किए जाने का आरोप लगाया है। फर्म साईं लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन का आरोप है कि पालिका शिवपुरी द्वारा जीआई एवं विद्युत उपकरणों की खरीदी/सप्लाई के क्रम में दिनांक 06.06.2016 को टेण्डर जारी किया गया था, यह सप्लाई क्रमश: 80-80 लाख रूपये की थी।

आरोप है कि इस प्रक्रिया में फर्म विशेष को साजिशन लाभ पहुंचाने का तानाबाना बुना गया तथा संस्था के हितों को भी ताक पर रखा जाकर इस दूषित प्रक्रिया को अंजाम दिया गया है।

प्रार्थी की फर्म सांई लक्ष्मी कन्स्ट्रक्शन भी इस टेण्डर प्रक्रिया में ऑनलाईन शामिल हुयी थी किन्तु उसे एक सोची समझी आपराधिक रणनीति के तहत प्रक्रिया से बाहर किया गया है।

बताया जाता है कि नगर पालिका शिवपुरी में दिनांक 06.06.2016 को टेण्डर क्रमांक 17748 एवं टेण्डर क्रमांक 17750 जी.आई. फिटिंग, इलेक्ट्रिक फिटिंग मटेरियल सप्लाई हेतु जारी किए जिनके फॉर्म खरीदी की तिथि दिनांक 20.06.2016 थी तथा एफ.डी.आई. जमा करने की तिथि 21 जून 2016 थी।

यह सप्लाई 80-80 लाख रूपये की थी, टेण्डर खाले जाने की तिथि 23.06.2016 निर्धारित थी। फर्म सांई लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन को इस टेण्डर प्रक्रिया से षडय़ंत्रपूर्वक बाहर कर दिया गया जब कारण जानना चाहा तो बताया गया कि सांई लक्ष्मी कन्स्ट्रक्शन फर्म की ओर से यह अभिस्वीकृति पत्र दिया गया है कि फर्म अपने द्वारा दाखिल किये गये दोनों टेण्डर खुलवाना नहीं चाहती। जबकि फर्म संचालक पवन धाकड़ का कहना है कि उनके द्वारा इस तरह का कोई अभिस्वीकृति पत्र नगर पालिका में सम्मिलित नहीं किया गया है जिससे कि उसकी फर्म इस प्रक्रिया से बाहर होने की मंशा रखती हो।

ठेकेदार का कहना है कि यह छद्म अभिस्वीकृति पत्र साजिशन कूटरचना कर आर्थिक धोखाधड़ी करने की नीयत से संलग्न किया गया है जो कि आपराधिक साजिश का परिचायक है साथ ही नगर पालिका की उक्त संपूर्ण टेण्डर प्रक्रिया को दूषित करने की साजिश का भी द्योतक है, इस कृत्य के जरिए जहां प्रार्थी की फर्म को टेण्डर प्रक्रिया से बाहर किया गया वहीं स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा को बाधित कर निकाय के आर्थिक हितों को भी क्षति पहुंचाने का प्रयास है। ठेकेदार का कहना है कि जो अभिस्वीकृति पत्र टेण्डर प्रक्रिया से बाहर होने संबंधी संलग्न किया गया है वह पूर्णत: कूटरचित और फर्जी है जिसमें न तो उसकी फर्म का लेटरहेड है न ही हस्ताक्षर या पदमुद्रा न ही प्रार्थी द्वारा इसे निकाय में आबक कराया गया।

इस फर्जी और कूटरचित पत्र की जाँच कर उक्त टेण्डर प्रक्रिया को रोके जाने और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही किए जाने की माँग की गई है। इस सम्बन्ध में आज प्रशासन को भी ज्ञापन दिया गया है। मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू और पुलिस को भी की गई है ताकि फर्जी दस्तावेजों के मामले में जाँच संस्थित कर दोषियों पर कार्यवाही की जा सके।
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