धूमधाम और उत्साह के साथ मनाई गई अहिंसा के पुजारी भगवान महावीर की जयंती

शिवपुरी। अहिंसा के पुजारी और जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म दिवस शिवपुरी में परंपरागत उत्साह धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर जैन धर्मावलां​बियों ने अनेक धार्मिक आयोजन कर भगवान महावीर को याद किया। 

दिगम्बर और श्वेताम्बर समाज ने प्रथक-प्रथक रूप से अपने आराध्य की जयंती मनाई। दिग बर जैन समाज ने जहां नगर के प्रमुख मार्गो से भगवान महावीर की विशाल शोभा यात्रा निकाली और उन्हें याद किया वहीं श्वेता बर समाज ने मंदिर और स्थानक में अनेक धार्मिक आयोजन किये। 

इस अवसर पर साध्वी सुमंगला श्री जी ने भगवान महावीर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए लोगों से उनके जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की। साध्वी जी ने पोषद भवन में आयोजित धर्मसभा में बताया कि भगवान महावीर ने अपने साधना काल में अनेक उपसर्ग सहन किये, लेकिन वह विचलित नहीं हुए। उनके धैर्य ने ही उन्हें भगवान बनाया। 

भगवान महावीर जयंती पर जैन पाठशाला ने कोर्ट रोड़ पर विशाल भण्डारे का आयोजन किया। जिसमें अनेक लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। 

भगवान महावीर की जयंती पर धार्मिक आयोजन सुबह से ही शुरू हो गए थे। सुबह-सुबह नगर के प्रमुख मार्गो से विशाल प्रभात फेरी निकली जिसमें जैन समाज के लोग जोर-जोर से भगवान महावीर की जय और जैन धर्म की जय-जयकार के नारे लगा रहे थे। 

प्रभात फेरी के बाद चंदाप्रभू जिनालय से भगवान महावीर की विशाल शोभा यात्रा निकली जिसमें जैन समाज के स्त्री, पुरूषों और बच्चों ने बड़ी सं या में भाग लिया। स्थान-स्थान पर जुलूस का स्वागत किया गया। वहीं भगवान महावीर की शान में भजन गायन भी हुए। 

श्वेेता बर समाज ने सुबह 9 बजे से पोषद भवन में नवकार महामंत्र के जाप का आयोजन किया। जिसमें बड़ी सं या में लोगों ने भाग लेकर भगवान महावीर को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये। जाप के पश्चात साध्वी सुमंगला श्री जी ने अपने प्रवचनों में बताया कि भगवान महावीर ने पुरूषार्थ का सहारा लेकर परमतत्व को प्राप्त किया है। 

उन्होंने कहा कि जैन संस्कृति यह बताती है कि प्रत्येक व्यक्ति में भगवान बनने की क्षमता है। आवश्यकता है उस क्षमता का विकास करना तथा अपने विकारों पर विजय प्राप्त करना। साध्वी जी ने कहा कि भगवान महावीर यदि चाहते तो देवताओं का सहारा लेकर कष्टों से मुक्त हो सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा न कर धैर्य पूर्वक कष्टों को सहन किया। 

भगवान महावीर का उदाहरण बताता है कि हमें भी जीवन में विचलित नहीं होना चाहिये। इसके बाद पाश्र्वनाथ जैन मंदिर में भगवान के पूजन का कार्र्यक्रम हुआ। तत्पश्चात जैन पाठशाला के सौजन्य से कोर्ट रोड़ पर भण्डारे का आयोजन हुआ।