वीरेन्द्र रघुवंशी के बाद अब देवेन्द्र जैन बनेंगे पानी वाले बाबा

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शिवपुरी। जल संकट से जूझ रही शिवपुरी में पानी राजनीति काफी असरकारक रही है। स्वार्थवश ही सही  नि:शुल्क रूप से जल सप्लाई कर समाजसेवा करने का राजनीति में फायदा मिलता रहा है। पानी राजनीति के सहारे पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बाबजूद शिवपुरी से विधायक बनने में सफल रहे थे।

और उनकी पानी बाले बाबा की छवि ने उन्हें विधानसभा भवन भोपाल तक पहुंचा दिया था। इस उदाहरण से ही शायद प्रेरणा लेकर इस बार सन् 1993 के चुनाव में शिवपुरी से विधायक बने देवेन्द्र जैन पत्ते वाले इस ग्रीष्म ऋतु में अपने टेंकरों से मु त पेयजल सप्लाई करने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने पांच टेंकरों का निर्माण भी करा लिया है और टै्रक्टर किराये से ले रहे हैं। 

उनका यह प्रयास राजनीति से प्रेरित हैं इसका पता इस तथ्य से लगता है कि सभी टेंकर भाजपा के रंग से रंगे हुए हैं और उन पर देवेन्द्र जैन पत्ते वाले शिवपुरी का नाम अंकित है। इससे यह भी जाहिर होता है कि अगले चुनाव में वह अपने पूर्व के निर्वाचन क्षेत्र कोलारस को छोड़कर शिवपुरी पर ही नजरें केन्द्रि कर रहे हैं।

कांग्रेस की उच्चस्तरीय राजनीति में पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी का अ युदय अचानक पानी राजनीति के सहारे हुआ। कुछ समय तक उन्हें पार्षद पद के लिए भी टिकिट देने में युवक कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष रामकुमार शर्मा ने अड़ंगा लगा दिया था। लेकिन 2003 में वीरेन्द्र रघुवंशी ने पानी राजनीति को अपने राजनैतिक विकास का माध्यम बनाया। 

उन्होंने सन् 2003 में शहरवासियों को नि:शुल्क रूप से पेयजल सुलभ कराने हेतु 12 टेंकरों के जरिये दिन में और 12 टेंकरों के जरिये ही रात को पेयजल सप्लाई करना शुरू करवा दिया। श्री रघुवंशी बताते हैं कि उस समय वह प्रतिदिन 200 पॉइंटों पर अपने टेंकर भेजते थे। इस तरह से लगातार 4 साल तक वह शहरवासियों के लिए पेयजल सेवा मुहैया कराते रहे। 

इससे वह शिवपुरी की गली-गली में काफी लोकप्रिय हो गए और इसका फायदा उन्हें 2007 के विधानसभा उपचुनाव में मिला। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए कांग्रेस ने ऐन वक्त पर शीतल जैन का टिकिट काटकर उन्हें टिकिट दे दिया। 

चुनाव में वह कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में थे और प्रदेश में सत्ता भाजपा की थी। श्री रघुवंशी को हराने के लिए पूरी की पूरी शिवराज कैबिनेट मैदान में उतर आई थी। लेकिन इसके बाबजूद भी तमाम कारणों में से पानी राजनीति का भी एक महत्वपूर्ण कारण था, जिसके सहारे प्रतिकूलताओं के बाबजूद वीरेन्द्र रघुवंशी चुनाव जीत गए। 

विधायक बनने के बाद श्री रघुवंशी ने विधायक निधि से पांच स्थानों पर बोर खनन कर हाईडेंटों का निर्माण कराया। विधायक बनने से पहले जहां वह अपने बोरों तथा किसानों के बोरों से पानी लेकर जल सप्लाई करते  थे वहीं विधायक बनने के बाद उन्होंने अपने हाईडेंटों से एक वर्ष तक और पेयजल सप्लाई जारी रखी। इसके बाद उनका मकसद पूरा हो गया था।

 इस कारण श्री रघुवंशी ने पानी राजनीति को तिलांजलि दे दी। हालांकि वह कहते हैं कि ऐसा नहीं है, चूंकि सिंध जलावर्धन योजना मंजूर हो चुकी थी और इसी कारण उन्होंने अपने टेंकरों को बंद करा दिया था। शहर में इस समय पेयजल संकट पिछले वर्षों की तुलना में अधिक विकट है।

 और ऐसे आसार दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे कि ग्रीष्म ऋतु से पहले सिंध जलावर्धन योजना का क्रियान्वयन पूर्ण हो जाएगा और सिंध नदी का पानी घर-घर तक पहुंच जाएगा। इसीलिए पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन ने पानी राजनीति के सहारे फिर से अपने भाग्य को अजमाने का निर्णय लिया है। 

इनका कहना है
चलिये समाज सेवा तो हो रही है। भले ही स्वार्थवश ही सही। पूर्व विधायक देवेन्द्र जैन यदि पेयजल सप्लाई ग्रीष्म ऋतु में कर रहे हैं तो उनका निर्णय स्वागत योग्य है। लेकिन यह भी दिख रहा है कि पिछले चुनाव में कोलारस से मिली 27 हजार की हार के बाद अब वह कोलारस के स्थान पर शिवपुरी पर अपना राजनैतिक ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं। 
पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी
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